वैस्ट हल्के में कैसे रहेंगी एक म्यान में दो तलवारें…म्यान टूटेगी या तलवार

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पूर्व विधायक सुशील रिंकू के आप ज्वाइन करने से आप के कईं नेता नाराज.. एमपी की सीट निकालना होगी चुनौती 

टाकिंग पंजाब

जालंधर। पंजाब की राजनीति में दिन ​प्र​तिदिन नए चमत्कार हो रहे हैं। आज भी जालंधर में एक बड़ा चमत्कार देखने को मिला, जब आप के कट्टर विरोधी रहे कांग्रेस के पूर्व विधायक सुशील रिंकू ने आप की ही दामन थाम लिया। आम आदमी पार्टी संगरूर की तरह अब जालंधर में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है, इसलिए पार्टी ने इस उप चुनाव में फूंक फूंक कर कदम रख रही है। हालांकि कांग्रेस के पूर्व विधायक की आम आदमी पार्टी में एंट्री से पार्टी का एक खेमा खासा नाराज दिखाई दे रहा है। यह खेमा जालंधर वेस्ट के विधायक शीतल अंगुराल का है, जो कि इस टिकट पर अपने भाई राजन अंगुराल की दावेदारी जता रहा था।   पार्टी शायद इस बात से सहमत नहीं थी, जिसके चलते पार्टी के उच्च नेताओं ने परिवारवाद का पैंतरा चलकर उनकी इस मांग को खारिज कर दिया है। अब सवाल यह है कि पूर्व विधायक सुशील रिंकू व विधायक शीतल अंगुराल के बीच सभी कुछ ठीक नहीं है। उनका एक ही पार्टी में रहने का मतलब एक म्यान में दो तलवारों का रहना है। अब अगर एक म्यान में दूसरी तलवार डालने की को​शिश कर रही है, जिसके चलते या म्यान टूट सकती है या फिर तलवार। सभी को पता है कि पूर्व विधायक सुशील रिंकू व इस समय वैस्ट हल्के से विधायक शीतल अंगुराल का 36 का आंकड़ा रहा है।    इन दोनों के बीच की रंजिश किसी से छिपी नहीं है, जिसके कारण यह कहा जा रहा है कि यह दोनों एक ही पार्टी में कैसे रह पाऐंगे, वह भी एक ही हल्के में ? लेकिन राजनीति  में सब कुछ संभव है। कौन कब दोस्त दुश्मन व दुश्मन दोस्त बन जाए कहा नहीं जा सकता। इसके अलावा माना जा रहा है आप ने सुशील रिंकू को जालंधर में होने जा रहे एमपी के उप चुनाव के लिए दावेदार भी बनाया है, जिसके चलते तो अंगुराल खेमा ओर भी चिंतित दिखाई दे रहा है। देखा जाए तो जालंधर वेस्ट से कांग्रेस के पूर्व विधायक सुशील रिंकू की एससी समुदाय में अच्छी खासी पकड़ है। सुशील रिंकू की एससी समुदाय में अच्छी पैठ है जिसका आप फायदा उठाना चाहती है।   पार्टी इस समय  साम- दाम- दंड -भेद किसी भी तरह का फॉर्मूला अपना कर जालंधर की यह सीट निकलना चाहती है, जिसके चलते पार्टी ने हल्के के मौजूदा विधायक की भी परवाह नहीं की। अब सबसे बड़ी बात यह है कि अगर सुशील रिंकू को पार्टी उप चुनाव का टिकट देती है तो क्या आप के विधायक उनको यह सीट निकलवाने में मदद करेंगे ? अगर सुशील रिंकू को टिकट मिल जाती है ओर वह जीत जाते हैं तो क्या इससे रिंकू व शीतल अंगुराल के बीच चल रही जंग थम जाऐगी या फिर ओर तेज हो जाऐगी ? सवाल तो कईं हैं लेकिन इन सवालों को जवाब समय आने पर ही मिल सकेगा। फिलहाल तो सुशील रिंकू का खेमा उनके आप ज्वाइन करने पर खुश व उनके विरोधी परेशान नजर आ रहे हैं।

 

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