नीमा की तरफ से करवाई गईं संगोष्ठी में स्पीकर्स ने करवाया कई अहम तकनीक से अवगत

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ब्रांच प्रैजीडैंट डॉ. एसपी डालिया की अध्यक्षता में हुई इस संगोष्ठी में बताये प्रोस्टेट सर्जरी, क्रानिक लिवर फेल्योर आदी के कारणों व इलाज के गुर

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जालंधर। नैशनल इंटीग्रेटिड मैडीकल एसोसिएशन (नीमा) की लोकल ब्रांच की ओर से एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। एनएचएस अस्पताल के सहयोग से आयोजित यह संगोष्ठी ब्रांच प्रैजीडैंट डा. एसपी. डालिया की अध्यक्षता में हुई। संगोष्ठी की शुरुआत नीमा के पदाधिकारियों व गैस्ट स्पीकर्स की ओर से श्री धन्वंतरि पूजन के साथ की गईं। इसके बाद सैक्रेटरी डा. राजीव धवन ने संगोष्ठी के अलग-अलग गैस्ट स्पीक्स व उनके टॉपिक्स के बारे में सबको जानकारी दी। संगोष्ठी के पहले गैस्ट स्पीकर के तौर पर मंच पर पहुंचे डा. सतिंदर पाल अग्रवाल ने प्रोस्टेट सर्जरी में प्रयोग में लाई जाने वाली अत्याधुनिक और मिनिमल इन्वेसिव ‘होलैप’ तकनीक के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इसका उपयोग प्रोस्टेट वृद्धि और अन्य प्रोस्टेट संबंधी विकारों के इलाज के लिए किया जाता है।         इस तकनीक में मरीज को बहुत कम दर्द होता है और अस्पताल में ज्यादा देर तक रुकना भी नहीं पड़ता है। इसमें मरीज की रिकवरी भी बड़ी तेजी से होती है। संगोष्ठी में दूसरे गैस्ट स्पीकर के तौर पर पेट के रोगों के माहिर डा. सौरभ मिश्रा ने एक्यूट ऑन क्रानिक लिवर फेल्योर मैनेजमैंट में प्रयोग में लाई जाने वाली अत्याधुनिक तकनीक के बारे में डाक्टरों को जानकारी दी। इस दौरान डा. मिश्रा ने उक्त मरीज में प्रयोग में लाई गई ‘प्लाजमा एक्सचेंज’ तकनीक के बारे में भी बताया, जिससे उन्होंने मरीज को नया जीवन मिला। संगोष्ठी के तीसरे गैस्ट स्पीकर डा. संजय कुमार शर्मा ने क्रानिक किडनी डिजीज की स्थिति में मरीज में पाए जाने वाले लक्षणों के बारे में डाक्टरों को जानकारी दी। ऐसे मरीज को कब व कौन सी स्टेज में नैफ्रोलॉजिस्ट के पास रैफर करना चाहिए, इस बारे में भी उन्होंने डाक्टरों का उचित मार्गदर्शन किया।          उन्होंने सीकेडी मरीजों के लिए प्राइमरी फिजिशियंस को एक्कुअल लाइन ऑफ डिफैंस बारे बताया। संगोष्ठी के आखिरी वक्ता एनएचएस अस्पताल के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डा. साहिल सरीन ने देश में दिल के मरीजों की लगातार बढ़ रही संख्या को चिंताजनक बताया। उन्होंने कहा कि हर तीन शहरी लोगों में से एक रोगी को हार्ट डिजीज है। इसकी मुख्य वजह इंसान की असंतुलित जीवनशैली, उसका खानपान, शारीरिक गतिविधि की कमी और रोजमर्रा के जीवन में हावी होता तनाव है। इस दौरान उन्होंने ‘हर चैस्ट पेन, दिल का दौरा नहीं होती, के विषय पर विस्तार से चर्चा की। डा. सरीन ने कहा कि सीने में दर्द के कई कारण हार्ट डिजीज के अलावा गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्राब्लम्स या मांसपेशियों में खिंचाव हो सकते हैं।         संगोष्ठी में के अंत में ब्रांच प्रेजिडेंट डॉ एसपी डालिया ने सभी स्पीकर का धन्यवाद किया। उन्होंने इस संगोष्ठी को सफल बनाने के लिए सहयोगी टीम का आभार भी व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी संस्था की तरफ से ऐसे कार्यक्रम करवाए जायेंगे। इस दौरान डा. परविंदर बजाज, डा. विपुल कक्कड़, डा. दिनेश जग्गी, डा. केएस. राणा, डा. जितेंद्र प्रभाकर, डा. दिनेश शर्मा, डा. गुरपाल चौहान, डा. भजन खपड़, डा. सुरिंदर कल्याण, डा. एसएस गलोत्रा, डा. वरुण अग्रवाल, डा. राजेश बब्बर, डा. अरुण कुमार, डा. राकेश गुप्ता, डा. विनायक, डा. मोहिंदर निर्मल, डा. राजेश चांदना, डा. रत्न शर्मा, डा. मधुरिमा भागंवा, डा. रीना कक्कड़, डा. सुप्रिया क्वात्रा, डा. विनीता गोस्वामी, डा. दिव्या गुप्ता और डा. रंजना भी खासतौर पर मौजूद रहीं।

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