संसद में 3 बिलों पर हुआ बड़ा बवंडर.. विपक्ष ने पेपर फाड़ सदन में उछाले.. हंगामा

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शाह बोले, हमें नैतिकता न सिखाएं… जब तक मैं कोर्ट से निर्दोष साबित नहीं हुआ मैंने कोई संवैधानिक पद नहीं लिया

टाकिंग पंजाब

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार या हिरासत में लिए जाने पर प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री या मंत्री को पद से हटाने का प्रावधान करने के लिए बुधवार को संसद में तीन बिल पेश किए। लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने इन बिलों को पेश किया, जिसके बाद सदन में जोरदार हंगामा देखने को मिला। विपक्ष ने इस बिल का विरोध किया और उसकी कॉफी फाड़कर सदन में उछाल दी।  दरअसल अमित शाह ने केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक 2025, संविधान विधेयक 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025 बिल को लोकसभा के पटल पर रखा था। विपक्षी सांसदों ने इस पर विरोध जताया। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और असदुद्दीन ओवैसी ने इसे संविधान विरोधी बताया। गृह मंत्री ने कहा कि इस बिल को जल्दबाजी में लाने का आरोप सही नहीं है। उन्होंने कहा बिल को संयुक्त समिति को सौंपा जाएगा। सभी पक्ष-विपक्ष के सांसदों की समिति इस पर विचार करेगी और आपके सामने लेकर आएगी। अमित शाह विपक्ष के जारी हंगामे के बीच अपनी सीट पर खड़े हए।    उन्होंने कहा कि अब आप मेरी बात सुनो। मुझ पर जब आरोप लगाया गया था उस दौरान मैंने गिरफ्तार होने से पहले नैतिकता के आधार पर अपने पद से इस्तीफा दिया था। जब तक मैं कोर्ट से निर्दोष साबित नहीं हुआ मैंने कोई संवैधानिक पद नहीं लिया। यह क्या सीखाते हैं नैतिकता मुझे। हम भी चाहते हैं कि नैतिकता के मूल्य और बढ़े। गिरफ्तार होने से पहले मैंने इस्तीफा दिया था, यह याद होगा सबको। लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह द्वारा इन विधेयकों को पेश करने के बाद सदन में जोरदार हंगामा शुरू हो गया। जारी हंगामे के बीच कांग्रेस ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह इस बिल को वापस ले।   केसी वेणुगोपाल ने कहा कि हम इस बिल का विरोध करते हैं, ये बिल देश के संविधान के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि ये बिल विपक्ष दलों की सरकार (राज्य सरकार) को निशाना बनाने के लिए लाया जा रहा है। ये बिल नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू जैसे लोगों को डराने के लिए लाया जा रहा है। इस दौरान सासंद असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस बिल का विरोध किया। ओवैसी ने कहा ये बिल कहीं से भी सही नहीं है। ऐसे में मैं और मेरी पार्टी इसका विरोध करती है। ये बिल कई नियमों की अनदेखी करते हैं व ये सही नहीं है। हम इस बिल के खिलाफ हैं।   कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा कि भारत का संविधान का मूल ढांचा कहता है कि कानून का राज होना चाहिए। कानून के राज की बुनियाद है कि आप बेगुनाह हैं, जब तक आपका गुनाह साबित नहीं होता, आप बेगुनाह हैं। गौरतलब है कि सरकार ने गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार या हिरासत में लिए जाने पर प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री या मंत्री को पद से हटाने का प्रावधान करने के लिए बुधवार को संसद में तीन बिल पेश किया। फिलहाल विधेयक को विपक्षी सांसदों के विरोध और हंगामे के बीच संसद की संयुक्त समिति को विचार के लिए भेज दिया गया     गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (संशोधन) बिल 2025 – केंद्र सरकार के मुताबिक, अभी केंद्र शासित प्रदेशों में गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट, 1963 (1963 का 20) के तहत गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है। सरकार का मानना है ​कि एक कानूनी ढांचा तैयार करने के लिए गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट, 1963 की धारा 45 में संशोधन की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री या केंद्रीय मंत्रिपरिषद के किसी मंत्री और राज्यों या नेशनल कैपिटल टेरिटरी दिल्ली के मुख्यमंत्री या मंत्रिपरिषद के किसी मंत्री को हटाने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में संशोधन की जरूरत है।

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