
आवारा कुतों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कुछ ही दिनों में किया अपने फैंसले में संशोधन

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हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कुछ बातों को सख्ती से लागू करने का आदेश भी दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सार्वजनिक स्थानों पर आवारा कुत्तों को खाना खिलाना प्रतिबंधित है। ऐसा करने वाले व्यक्ति के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। कुत्तों को सार्वजनिक रूप से भोजन कराने की अनुमति नहीं है। आवारा कुत्तों के लिए अलग से भोजन स्थान बनाए जाएंगे। आवारा कुत्तों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने पुराने फैसले में संशोधन करते हुए स्पष्ट किया है कि जो कुत्ते पकड़े गए हैं, उनमें से किन्हें छोड़ा जाएगा और किन्हें नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि रेबीज और एग्रेसिव कुत्तों को नहीं छोड़ा जाएगा।
कोर्ट ने कहा कि आवारा कुत्तों को वापस उन्हीं के इलाकों में छोड़ा जाएगा, हालांकि छोड़ने से पहले कुत्तों की नसबंदी की जाएगी। अदालत ने कहा है कि पशु प्रेमी आवारा कुत्तों को गोद ले सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लोग गोद लिए हुए कुत्तों को सड़कों पर न छोड़ें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जो डॉग लवर /गैर-सरकारी संगठन या याचिकाकर्ता एमसी मामले की सुनवाई में पक्षकार बनना चाहते हैं, उन्हें कार्यवाही में भाग लेने के लिए 25,000 से 2 लाख रुपये तक का भुगतान करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आवारा कुत्तों को लेकर नेशनल पॉलिसी बनाई जाएगी। दिल्ली NCR में आवारा कुत्तों के मामले पर जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने कहा कि ये अंतरिम आदेश है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हमने इस केस को पैन इंडिया बढ़ा दिया है। इसमें सभी राज्यों को शामिल किया है। सारे हाईकोर्ट के मामले सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर होंगे। उधर डॉग लवर्स कुत्तों के काटने को लेकर तर्क देते हुए इसके लिए एमसीडी को जिम्मेदार बता रहे हैं। उनका कहना है कि एमसीडी के कर्मचारी कुत्तों को बेरहमी से पकड़ते हैं और उनसे जबरदस्ती करते हैं। इसके बाद जब उन्हें छोड़ा जाता है तो वो एग्रेसिव हो जाते हैं। डॉग लवर्स का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने पब्लिक फीडिंग बंद कर दी है, हम लोग इन बच्चों को खाना कैसे खिलाएंगे। हम पूरी तरह से खुश नहीं हैं। एनिमल लवर्स का सवाल है कि इसकी पहचान कैसे होगी कि रेबीज वाले कुत्ते कौन से हैं और कौन से कुत्ते ज्यादा हिंसक हैं ?।
इस हिसाब से तो एमसीडी सभी कुत्तों को उठाकर ले जाएगी. उधर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मेनका गांधी ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि आखिर हिंसक कुत्तों की पहचान कैसे होगी ?। लोग कुतों को सार्वजनिक जगहों पर खाना नहीं खिलाएंगे तो कहां खिलाएंगे ?। नेशनल पॉलिसी व एबीसी यानी स्टरलाइजेशन के लिए शेल्टर होम में क्या व्यवस्था होगी कैसे लागू होगी ?। इस मुद्दे पर कांग्रेसी नेता राहुल गांधी का ब्यान भी सामने आया है। राहुल गांधी ने कहा है कि मैं आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट के संशोधित निर्देशों का स्वागत करता हूँ, क्योंकि यह पशु कल्याण और जन सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने की दिशा में एक प्रगतिशील कदम है।



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