श्वेत पत्र में खुलासा…कर्ज के जाल व आर्थिक संकट में फंसा पंजाब

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पंजाब पर मौजूदा समय में  2,63,265 करोड़ रुपए का कर्ज, कैसे वादे वफा करेगी आप सरकार

पिछले 40 सालों में कर्ज से ही नहीं उबर पाया पंजाब, 1980-81 में 1009 करोड़ का कर्ज बढकर हुआ 2,63,265 करोड़ रुपए

टाकिंग पंजाब

चंडीगड़। पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार की तरफ से पेश किए गए बजट में 300 यूनिट हर  माह फ्री बिजली के अलावा कईं ओर लोक लुभावन घोषणाओं का पिटारा खोला था। इन घोषणाओं को अमली जामा पहनाने के लिए हजारों करोड़ रूपए की आवश्यकता होगी। यह हजारों करोड़ रूपए कहां से आऐंगे, यह तो सरकार ही जानती है। इस समय पंजाब के जो मौजूदा हालात हैं, उसके तहत पंजाब पहले से ही कर्ज के जाल में फंसा हुआ है। इसका खुलासा विधानसभा में राज्य की वित्तीय स्थिति पर पेश किए गए श्वेत पत्र में किया गया है कि पंजाब की आर्थिक स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। यह श्वेत पत्र भगवंत मान सरकार के पहले बजट के पेश होने से ठीक 2 दिन पहले सदन में पेश किया गया था। इस श्वेत पत्र में दावा किया गया कि राज्य कर्ज के जाल में फंसा है

दस्तावेज में कहा गया है कि कांग्रेस के 5 साल के शासन में राज्य का कर्ज 44.23 फीसदी बढ़ा है। पंजाब की आर्थिक स्थिति को देखते हुए आप सरकार खुद को मुश्किल स्थिति में देख रही है क्योंकि पार्टी ने चुनावों से पहले बड़े-बड़े वादे किए हैं, लेकिन राज्य की वित्तीय हालत ऐसी है कि सरकार कहीं से भी अपने सभी चुनावी वादों को पूरा करने के लिए सक्षम नहीं है। हालांकि पंजाब के लोगों को फ्री बिजली देने का वादा 1 जुलाई से सरकार पूरा करने जा रही है।

पंजाब का मौजूदा बकाया कर्ज 2.63 लाख करोड़ रुपए 

  श्वेत पत्र के मुताबिक पिछली कांग्रेस सरकार ने 24,351.29 करोड़ रुपए की तत्काल व मध्यम अवधि की देनदारी छोड़ी है, जिसे अब आप सरकार को पूरा करना होगा। दस्तावेज में कहा गया है कि पंजाब का मौजूदा प्रभावी बकाया कर्ज 2.63 लाख करोड़ रुपए है, जो कि एसजीडीपी (राज्य का सकल घरेलू उत्पाद) का 45.88 फीसदी है। इससे पहले साल 2017 में सत्ता में आने के बाद कांग्रेस ने भी इसी तरह का श्वेत पत्र निकाला था। तब उसने पिछली अकाली दल-भाजपा सरकार पर वित्तीय कुप्रबंधन का आरोप लगाया था।

पिछली सरकार ने आखिरी दिनों में किए लापरवाही से खर्च 

आप सरकार के श्वेत पत्र में कहा गया है कि पिछली सरकार छठे पंजाब वेतन आयोग के लागू होने के मद्देनजर एक जनवरी 2016 से 30 जून 2021 तक संशोधित वेतन के बकाया का भुगतान नहीं कर सकी। अकेले इस मद में बकाया देनदारी लगभग 13,759 करोड़ रुपए होने की संभावना है। दस्तावेज में कहा गया है कि राजनीतिक फायदा लेने के लिए पिछली सरकार ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में लापरवाह तरीके से खर्च किए, जिससे कर्ज ओर बढ गया।

लगभग 40 सालों में 1009 करोड़ से बढकर 2,63,265 करोड़ रुपए हो गया कर्ज

दस्तावेज में कहा गया कि राज्य का बकाया कर्ज 1980-81 में 1,009 करोड़ रुपए था, जो 2011-12 में बढ़कर 83,099 करोड़ रुपए व 2021-22 में 2,63,265 करोड़ रुपए हो गया। श्वेत पत्र में कहा गया कि पंजाब को कर्ज के जाल से निकालने के लिए सरकार के राजस्व में वृद्धि उपायों के साथ-साथ खर्च पर भी कंट्रोल करने के बारे में सोचने की जरूरत है।

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