क्या आप उच्च नेतृत्व की उम्मीद के अनुसार रहें हैं जिला परिषद व ब्लॉक समिति के चुनाव परिणाम

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सत्ता के बावजूद कांग्रेस व अकाली दल का आप को टक्कर देना आप के लिए आत्ममंथन का विषय

कांग्रेस को भी नेतृत्व को लेकर सोचने की जरूरत .. वर्ना एक बार फिर से बाजी मार ले जाऐगी आप

टाकिंग पंजाब

जालंधर। हाल ही में पंजाब में हुए जिला परिषद व ब्लॉक समिति चुनाव के नतीजे आने के बाद सत्ता पर आसीन आम आदमी पार्टी को जनता का समर्थन मिला है, लेकिन आप उच्च नेतृत्व के अनुसार जिस तरह से यह नतीजें होने चाहिए थे, वह शायद नहीं आ पाए हैं। इन चुनावी नतीजों के बाद चाहे आम आदमी पार्टी ने जीत का परचम लहरा दिया है, लेकिन इन चुनावों के बाद कांग्रेस व अकाली दल एक चुनौती बनकर सामने आए हैं। अकाली दल ने पहले तरनतारन उपचुनाव में आप को टक्कर देकर सबको चौंकाया।    इसके अब जिला परिषद में 9 और ब्लॉक समिति में 244 सीटें जीतकर कमबैक के फिर संकेत दिए हैं। आम आदमी ने ब्लॉक समिति की एक हजार से ज्यादा व जिला परिषद की 160 से ज्यादा सीटें जीत लीं, लेकिन आम आदमी के उम्मीदवार उन दिग्गजों के गढ़ में हारे हैं, जहां पर पार्टी को इसकी उम्मीद भी नहीं थी। जी हां, आप सरकार में पहले मंत्री व अब लोकसभा के सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर के गांव कुरड़, संगरूर विधायक नरिंदर भराज के गांव भराज, कोटकपूरा से विधायक स्पीकर कुलतार संधवां के गांव संधवां, पूर्व मंत्री व विधायक कुलदीप धालीवाल के गांव जगदेव कलां में भी आप के उम्मीदवार हार गए।   आप की सरकार के सत्ता में होने के बावजूद जिला परिषद चुनाव में आप के 218 जीते उम्मीदवारों के साथ कांग्रेस के 62 व अकाली दल 46 उम्मीदवारों का जीत जाना कोई छोटी बात नहीं है। कांग्रेस व अकाली दल के उम्मीदवार उस समय जीते हैं, जब कांग्रेस के पास ठोस नेतृत्व की कमी है तो अकाली दल के सामने खुद को दौबारा साबित करने की चुनौती है। इसके बाद भी कांग्रेस व अकाली दल के उम्मीदवारों का जीत जाना, आप सरकार खिलाफ लोगों का गुस्सा नजर आ रहा है। उधर कांग्रेस की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि इस समय कांग्रेस नेतृत्व की कमी से जूंझ रही है।  पंजाब कांग्रेस की बागडौर संभालने वाले प्रधान राजा वड़िंग पार्टी के लिए कुछ खास फायदेमंद दिख नहीं रहे हैं। एक तरफ जहां कांग्रेस 2027 में खुद को प्रमुख विपक्षी दल के रूप में मान रही है. जबकि हालात बदतर हैं। ब्लॉक समिति में कांग्रेस करीब 350 व जिला परिषद में 20 के आसपास सिमट गई, जिससे साफ नजर आ रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व की कमी से जूंझ रही है। तरनतारन उपचुनाव में कांग्रेस की जमानत जब्त कराने वाले प्रधान राजा वड़िंग के गृह जिले श्री मुक्तसर साहिब से तो कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई। यह हालत तब है, जबकि वड़िंग ने तरनतारन हार के बाद यहां जमकर प्रचार किया था। ऐसे में उनको लेकर कांग्रेस हाईकमान के लिए कुछ तो चिंता का विषय है।   इन सभी के बीच राजा वड़िंग अपनी ही ढफली बजा रहे हैं। उनका कहना है कि यह नतीजे मनगढ़ंत हैं। एक साल बचा हुआ है, लोग आप को सत्ता से बाहर निकाल देंगे। इनकी उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। अरे भाई ऐेसे कैसे लोग आप को सत्ता से बाहर फैंक देंगे ?। आखिर जनता के पास विकल्प ही क्या है?। कांग्रेस एक जुट है नहीं, अकाली दल मजबूत हो रही है, लेकिन अकेले सत्ता में आना उसके भी बस की बात नहीं है। उस पर से भाजपा भी लगातार अच्छा प्रर्दशन कर नहीं पा रही है। भाजपा ब्लॉक समिति की करीब 28 और जिला परिषद की एक ही सीट जीत पाई। फिर एक साल में ऐसा क्या हो जाऐगा कि आप सत्ता से बेदखल हो जाऐगी। इसके लिए कांग्रेस को अपना नेतृत्व सुधारना होगा व एक जुट होना होगा, तभी कांग्रेस 2027 में आप को टक्कर दे सकती है, नहींं तो एक बार फिर से 2027 में आप की सत्ता में वापसी हो सकती है।

 

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