केंद्र ने पूछा.. संभावित हिंसा रोकने के लिए पंजाब पुलिस का क्या था एक्शन प्लान.. शाम तक मांगी विस्तृत रिपोर्ट
टाकिंग पंजाब
नई दिल्ली। अजनाला में गुरुवार को थाने पर हुए हमले के बाद उपजे विवाद पर केंद्र सरकार सख्त नजर आ रही है। भाई अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने जिस तरह से थाने पर धावा बोला व उसके बाद सरकार से अपनी बात मनवाते हुए अपने साथी को रिहा करवाया, उसको केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गंभीरता से लिया है। इस मामले में होम मिनिस्ट्री यानि कि एमएचए ने पंजाब पुलिस और इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) से रविवार शाम तक विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
केंद्र ने पूछा है कि संभावित हिंसा रोकने के लिए पंजाब पुलिस का क्या एक्शन प्लान था। होम मिनिस्ट्री की इस जवाब तलबी पर पंजाब पुलिस व इंटेलिजेंस ब्यूरो का जवाब देती है, इसको देखना होगा लेकिन पंजाब पुलिस के बड़े अधिकारी व पंजाब के मुख्यमंत्री पहले कह चुके हैं कि भाई अमृतपाल सिंह अपने साथ श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी को लेकर चल रहा था, जिसके कारण पुलिस ने इस पर कोई एक्शन नहीं लिया। अब यह तो साफ है कि केंद्र इस मामले को गंभीरता से ले रहा है व पंजाब पुलिस व इंटेलिजेंस ब्यूरो को इस मामले में कोई ठोस जवाब तैयार करना ही होगा। उधर दूसरी तरफ ‘वारिस पंजाब दे’ चीफ अमृतपाल सिंह ने खुद को भारतीय नागरिक मानने से इंकार कर दिया है। अमृतपाल ने एक न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में कहा है कि मैं खुद को इंडियन सिटीजन नहीं मानता। पासपोर्ट सिर्फ एक यात्रा का डॉक्यूमेंट है, इससे कोई भारतीय नहीं बन जाता। इसके अलावा देश के केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को धमकी देने के मामले में भी भाई अमृतपाल सिंह का कहना है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बयान दिया था कि खालिस्तानी आंदोलन को दबा देंगे।
अमृतपाल सिंह ने कहा कि इसके जवाब में मैंने कहा था कि इसके नतीजे भुगतने पड़ेंगे। इसका मतलब यह नहीं था कि अमित शाह का हश्र इंदिरा गांधी की हत्या जैसे होगा। यह अमित शाह को धमकी नहीं थी बल्कि उन्होंने हमें धमकी दी थी। अमृतपाल ने कहा कि अगर कोई पंजाबी नहीं और पंजाब में नहीं आता तो उसे यह डरावना लगता है, मगर ऐसा नहीं है। अमृतपाल सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि यह अपराध नहीं व संगरूर से सांसद भी खालिस्तान जिंदाबाद कहता है।