महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न मामले में राऊज एवेन्यू कोर्ट ने बृजभूषण शरण सिंह को दी नियमित जमानत…

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कोर्ट ने जमानत देते हुए लगाई कुछ शर्तें… प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शिकायतकर्ताओं या गवाहों को नहीं करेंगे प्रभावित…

टाकिंग पंजाब

नई दिल्ली। महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न मामले में जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष व बीजेपी सासंद बृजभूषण शरण सिंह व कुश्ती महासंघ के सहायक सचिव विनोद तोमर सिंह को 25-25 हजार रुपए के निजी मुचलके पर नियमित जमानत दे दी है। हालांकि, कोर्ट ने जमानत देते हुए कुछ शर्तें लगाई हैं जिसमें कहा गया है कि कोर्ट की अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ेंगे। इसके साथ ही आरोपी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शिकायतकर्ताओं या गवाहों को प्रभावित नहीं करेंगे। अब कागजातों की जांच के लिए सुनवाई की अगली तारीख 28 जुलाई तय की गई है। सुनवाई के दौरान पीड़ितों के वकील ने जमानत देने का भारी विरोध करते हुए गवाहों को प्रभावित करने की बात कही थी।
     उन्होनें कहा कि ब्रजभूषण एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं व वह बाहर रहेंगे तो गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। अगर उन्हें बेल दी जाती है तो सख़्त दिशा-निर्देश दिए जाएं। कोर्ट इस शर्त पर बेल दे कि ब्रजभूषण शिकायतकर्ताओं और गवाहों को न प्रभावित करें। इस बात पर बृजभूषण के वकील राजीव मोहन ने आपत्ति जताते हुए कहा कि गवाहों को धमकाने जैसी कोई बात अभी तक नहीं हुई है। वैसे इस तरह की कोई शर्त अगर कोर्ट लगाता है तो हम उसका पूरी तरह से पालन करेंगे। इतना ही नहीं, बृजभूषण के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे मामलों में जहां पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया है, वहां आरोपी कोर्ट से जमानत लेने का अधिकारी है।
      जब कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि क्या आप बेल का विरोध कर रहे हैं तो इस पर दिल्ली पुलिस के वकील ने कहा कि न हम विरोध कर रहे हैं और न ही समर्थन कोर्ट कानून के हिसाब से फैसला लें। बता दें कि दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ बालिग पहलवानों के यौन शोषण केस में 1500 पन्नों की चार्जशीट पेश की, जिसमें बृजभूषण पर आईपीसी धारा 354, 354-ए व डी के तहत चार्जशीट दाखिल की। वहीं, विनोद तोमर के खिलाफ धारा 109, 354, 354 ए व 506 के तहत चार्जशीट दायर की गई। दिल्ली पुलिस ने 108 लोगों की गवाही दर्ज की जिसमें से केवल 15 गवाहों ने पहलवानों के आरोपों का समर्थन किया।

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