पांच नदियों की भूमि में जल संकट विषय पर किया गया सेमिनार का आयोजन

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सेमिनार द्वारा हरियावल पंजाब ने पानी बचाने के लिए संयुक्त प्रयासों का किया आह्वान

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नवांशहर। पांच नदियों की भूमि में जल संकट विषय पर हरिआवल पंजाब जिला शहीद भगत नगर द्वारा आर्य समाज नवांशहर व आर्ट ऑफ लिविंग के सहयोग से आर के आर्य कॉलेज में सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार की शुरुआत ज्योति प्रज्वल्लन करके की गई, जिसमें विशेष रूप से आर्य समाज के उपाध्यक्ष विनोद भारद्वाज, हरियावल पंजाब के प्रांतीय संयोजक प्रवीण कुमार, पर्यावरणविद नरेंद्र जैन, सुशील पुरी, मोटिवेशनल स्पीकर केशव जैन, वरुण मित्रा संस्था से राजेश शर्मा और जिला संयोजक मनोज कण्डा उपस्थित रहे।        सेमिनार की शुरुआत में एक वीडियो दिखाया गया जिसमें पंजाब में पानी की मौजूदा स्थिति के बारे में सभी को अवगत करवाया गया जिसमें बताया गया कि पंजाब में हम 70 फीसदी पानी जमीन के अंदर से निकाल रहे हैं और सिर्फ 5 फीसदी पानी ही जमीन के अंदर भेज रहे हैं। वीडियो के बाद विषय विशेषज्ञ केशव जैन ने अपने विचार सभी के साथ सांझे किये जिसमें उन्होंने कहा कि जल और जीवन एक दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने यह समझाने के लिए एक व्यावहारिक उदाहरण दिया कि कैसे पेड़ पानी को रोकते हैं और इसे जमीन के अंदर भेजते हैं और आसपास की हवा से नमी इकट्ठा करते हैं और जल सरक्षंण में अपनी भूमिका निभाते हैं।

       उन्होंने कहा कि अगर हमें पंजाब की धरती के नीचे पानी बढ़ाना है तो हमें वन क्षेत्र बढ़ाना होगा और अधिक से अधिक पेड़ लगाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बहुत कम लोग हैं जिन्हें जमीन और पानी की चिंता है। उन्होंने कहा कि पंजाब में हम 70 फीसदी पानी जमीन से निकाल रहे हैं और सिर्फ 5 फीसदी पानी ही जमीन के अंदर भेज रहे हैं और पौधे लगाकर हम इस प्रक्रिया को बढ़ा सकते हैं। वरुण मित्रा से राजेश शर्मा और उनकी टीम ने पंजाब में चल रहे प्रोजेक्टों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि वर्षा जल संचयन से 65 प्रतिशत वर्षा जल को समुद्र में जाने से रोका जा सकता है।       प्रकृति के उपहार जल को ही संरक्षित किया जा सकता है। जल का मुख्य स्रोत वर्षा को माना जाता है। हमारे देश में बहुत अधिक वर्षा (लगभग 4000 अरब घन मीटर) होती है लेकिन हम केवल 8% (320 अरब घन मीटर) ही बचा पाते हैं। बाकी पानी बह जाता है। हमारे पास पानी के दो मुख्य स्रोत हैं – सतही जल (नदी का पानी) और भूजल। स्वस्थ जीवन के लिए पानी की उपलब्धता और शुद्धता दोनों ही आवश्यक हैं, लेकिन पंजाब इस समय अपने दोनों स्रोतों को लेकर गंभीर संकट में है। इसलिए हमें वर्षा जल के संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास करने चाहिए।         उन्होंने कहा कि जल जीवन का मूल आधार है। जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती और जल को कृत्रिम रूप से बनाया भी नहीं जा सकता। हरियावल पंजाब के पंजाब संयोजक ने कहा कि हमें विरासती पेड़ स्थापित करने चाहिए जो वर्षा जल को भूमिगत भेजने में सहायक हों। जिस पौधे में जितनी अधिक शाखाएँ और पत्तियाँ होती हैं, पानी उन्हीं स्थानों पर जमा रहता है। प्रकृति ने रिचार्ज करने की व्यवस्था की है। पौधे बारिश लाने में भी मदद करते हैं और पानी को रिचार्ज करने में भी मदद करते हैं। उन्होंने कहा कि यदि जल और पक्षियों को बचाना है तो अधिक से अधिक विरासती वृक्ष लगाएं।       उन्होंने कहा कि हमें कृत्रिम पेड़ लगाने की बजाय अधिक से अधिक हेरिटेज पेड़ लगाने चाहिए ताकि पक्षियों और पानी को बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि प्रकृति की पूजा ही ईश्वर की पूजा है। उन्होंने 14 फरवरी 2024 से हरिआवल पंजाब द्वारा शुरू किए जाने वाले एक पेड़ देश नाम अभियान के बारे में भी विस्तार से बताया। आर्य समाज के उपाध्यक्ष विनोद भारद्वाज ने सभी विषय विशेषज्ञों का धन्यवाद करते हुए कहा कि महर्षि दयानंद जी ने हम सभी को प्रकृति को बचाने का संदेश दिया। पर्यावरण की रक्षा करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है और इसके लिए संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है।      हमें अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए एक अच्छा वातावरण छोड़ना होगा। इस अवसर पर परमजीत सिंह खालसा, सरदार तरलोक सिंह सेठी, सुनिधि मिगलानी, किशोर कुमार विज, सरदार बिक्रमजीत सिंह, अनिल केसर, अमित शर्मा, प्रवीण सरीन, अरविंद नारद, रवीश दत्ता, डॉ. प्रदीप अरोड़ा, संजीव दुग्गल, सुरेश शर्मा , रवीश दत्ता, मनोज जगपाल, हतिंदर खन्ना, अंकुश निझावन, रवि गौतम, अमित सूद, सतनाम सहजल, सहित आर. के. आर्य कॉलेज नवांशहर, बी.एल.एम. गर्ल्ज कॉलेज नवांशहर, डी.एन. कॉलेज ऑफ एजुकेशन, दोआबा आर्य सीनियर सेकेंडरी स्कूल, भगवान महावीर पब्लिक स्कूल बंगा, कैंब्रिज इंटरनेशनल स्कूल के पर्यावरण अधिकारी मौजूद रहे।

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