Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the news-portal domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in C:\inetpub\vhosts\cavarunsharma.in\talkingpunjab.in\wp-includes\functions.php on line 6121 हरियाणा में भाजपा व जजपा का गठबंधन टूटने के पीछे क्या रही होगी दोनों पार्टीयों की मंशा – My CMS
सूत्रों की माने तो गठबंधन के रहते भाजपा को मुश्किल लग रहा था जाट वोट बैंक में सेंध लगना ..
भाजपा अपने दम पर चुनाव लड़ती है तो उसे हासिल हो सकता है गैर जाटों का समर्थन.. जाट वोटर भी हो सकता है कांग्रेस, जजपा व इनेलो में विभाजित
टाकिंग पंजाब
चंडीगढ़। एक तरफ जहां देश में लोकसभा चुनावों कौ बिगुल बजने जा रहा है, वहीं हरियाणा में 2019 से चल रहा भाजपा व जजपा का गठबंधन टूट गया है। सीएम मनोहर लाल खट्टर समेत उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने भी इस्तीफा दे दिया है। इतना सब होते ही भाजपा ने भी विधायक मंडल की बैठक भी बुला ली है। उम्मीद है कि हरियाणा में नए सिरे से खट्टर मंत्रिमंडल का गठन हो सकता है, लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि जजपा के विधायक पलटी मार सकते हैं। सूत्रों की माने तो हरियाणा की राजनीति में भाजपा व जजपा के बीच पिछले साल से ही तनातनी चल रही थी। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जजपा को साफ साफ कह दिया था कि वह सभी 10 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। सूत्रों का कहना है कि जजपा के दस विधायकों में से जोगीराम सिहाग, राम कुमार गौतम, ईश्वर सिंह, रामनिवास और देवेंद्र बबली, दिल्ली की बैठक से दूर हो सकते हैं। दूसरी तरफ भाजपा से अर्जुन मुंडा व तरुण चौक पर्यवेक्षक के तौर पर चंडीगढ़ पहुंच चुके हैं। हालांकि पूर्व केंद्रीय मंत्री चौ. बीरेंद्र सिंह के बेटे और हिसार लोकसभा सीट से भाजपा सांसद ब्रजेंद्र सिंह ने रविवार को कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली है। उनके पिता चौ. बीरेंद्र सिंह कई दशक तक कांग्रेस में रहे थे। सूत्रों के अनुसार जजपा ने लोकसभा चुनाव में दो सीट मांगी थीं। भाजपा ने एक भी सीट देने से मना कर दिया। भाजपा अपने दम पर प्रदेश की सभी दस सीटों पर चुनाव लड़ेगी। हालाकि सूत्रों की माने तो भाजपा हाईकमान लोकसभा चुनाव के नजदीक होने के कारण सीएम मनोहर लाल खट्टर को बदलने का जोखिम नहीं उठाएगी। अगर दोबारा से सरकार का गठन होता है, तो उस स्थिति में खट्टर की मुख्यमंत्री बनाए जा सकते हैं। दूसरी तरफ जजपा के साथ भाजपा का गठबंधन टूटना, इसके पीछे जाट और गैर जाट वोट बैंक बताया जा रहा है। दरअसल भाजपा, गैर जाटों के वोटों के आधार पर सत्ता में आई थी। मौजूदा हालात में जाट वोट बैंक, पूरे तरीके से कांग्रेस के साथ जाता हुआ नजर आ रहा था। ऐसे में अगर जजपा और भाजपा का गठबंधन रहता है, तो जाट वोट बैंक में सेंध लगना मुश्किल था। इसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़ सकता था। प्रदेश में जाट वोटर भाजपा से नाराज चल रहे हैं, यह बात किसी से छिपी नहीं है। अगर भाजपा अपने दम पर चुनाव लड़ती है, तो उसे गैर जाटों का बड़ा समर्थन हासिल हो सकता है। दूसरी तरफ जाट वोटर कांग्रेस, जजपा और इनेलो में विभाजित हो जाएंगे। इसका सीधा फायदा भाजपा को मिल सकता है। यही वजह है कि लोकसभा चुनाव नजदीक होने के बावजूद भाजपा ने जजपा से गठबंधन तोड़ने का ऐलान किया है। बाकी यह ऐलान कितना सार्थक रहता है, यह तो आने वाले चुनाव नतीजें ही बताऐंगे. लेकिन भाजपा ने हरियणा में अपना पत्ता चल दिया है।