
आखिर कब तक होते रहेंगे हाथरस जैसे हादसे.. आखिर कब जागरूक होगी हमारे देश की जनता

news-portal domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in C:\inetpub\vhosts\cavarunsharma.in\talkingpunjab.in\wp-includes\functions.php on line 6131India No.1 News Portal

कल हाथरस में हुआ हादसा इसी अंधविश्वास को उजागर करता है, जहां पर बाबा जी के चरणों की धूल लेने उमड़ी भीड़ व उस भीड़ को संभालने के चक्कर में ऐसी भगदड़ मची कि इससे सैंकड़ों लोगों की मौत हो गई। मीडिया की खबरों के अनुसार भीड़ को रोकने के लिए बाबा जी के सेवकों ने लोगों पर पानी की बौछार की, जिसके कारण लोग भागे व एक-दूसरे को रौंदते हुए निकल गए। यह हादसा हाथरस में भोले बाबा के सत्संग का है, जिसमें मची भगदड़ में 122 लोगों की मौत हो गई है व सैंकड़ों गंभीर रूप से घायल हैं। हादसे के बाद भोले बाबा फरार हो गया है व पुलिस को उसकी लोकेशन नहीं मिली है। भोले बाबा के नाम से जाना जाता यह शख्स कारों के काफिले के साथ चलता है।
आस्था व अंधविश्वास में फर्क देखिए कि बाबा के अनुयायी उसे भगवान शिव की तरह पूजते हैं, जिसके कारण उसका नाम भोले बाबा पड़ गया। बाबा किसी अन्य बाबा की तरह भगवा पोशाक नहीं पहनता। वह अपने सत्संग में थ्री पीस सूट और रंगीन चश्मे में नजर आता है। सूट व बूट का रंग हमेशा सफेद होता है। कई बार कुर्ता-पैजामा और सिर पर सफेद टोपी भी लगाकर सत्संग करने पहुंचता है। सूत्रों का कहना है कि भगदड़ मचने की मुख्य वजह बाबा के चरणों की धूल लेने के लिए मची होड़ थी। चरणों की धूल लेने के लिए लाखों लोग भागे जिसके कारण सैकड़ों श्रद्धालु गिर गए। इसके बाद तो एक के ऊपर एक लोग गिरते गए और चीखो-पुकार मच गई।
बाबा के सेवादारों ने दबे लोगों को निकाला, लेकिन तब तक कई लोगों की सांसें थम चुकी थीं। एडीजीपी जोन आगरा अनुपम ने भी चरण रज वाली बात कही है। उन्होंने कहा है कि महिलाओं से बातचीत में यह बात सामने आई है, हालांकि, यह पूरी चीज जांच का विषय है। पुलिस की लोगों से हुई बातचीत में सामने आया है कि भोले बाबा जब निकले, तो चरण रज लेने के लिए महिलाएं टूट पड़ीं व भीड़ हटाने के लिए सेवकों ने वाटर कैनन का उपयोग किया। पानी की बौछारों से बचने के लिए भीड़ इधर-उधर भागने लगी व भगदड़ मच गई ओर लोग एक-दूसरे को रौंदते हुए आगे बढ़ गए। आपको जानकर हैरानी होगी कि भोले बाबा के नाम से जाने जाते इस बाबा के सत्संग में एक लाख से ज्यादा की भीड़ जुटी थी।
अब जरा सोचिए कि जिस जगह पर 1 लाख लोग जुटे हों, वहां पर सुरक्षा का जिम्मा किसके हवाले था ? मात्र चंद पुलिस कर्मी व डेरे के सेवक इन 1 लाख लोगों की सुरक्षा में तैनात थे ? इतनी बड़ी भीड़ को इक्ट्ठा करने की इजाज्त पुलिस प्रशासन या सरकार से ली गई थी क्या ?एक अखबार को प्रत्यक्षदर्शी हीरालाल सिंह ने बताया है कि सत्संग में एक लाख से ज्यादा की भीड़ थी, लेकिन प्रशासन ने पूरी व्यवस्था बाबा के सेवकों पर ही छोड़ दी थी। सेवक इतनी बड़ी भीड़ नहीं संभाल पाए। भगदड़ मची तो महिलाएं और बच्चे संभल नहीं पाए। मेरी बच्ची सड़क पर गिरी और फिर वो उठ नहीं पाई। हालांकि हीरालाल का कहना है कि यह हादसा रोड पर हुआ था।
सवाल यह है कि इतनी बड़ी भीड़ को जुटने की इजाज्त दी गई थी ? दूसरा सवाल यह उठता है कि सत्संग में एक लाख से ज्यादा की भीड़ थी, लेकिन प्रशासन ने पूरी व्यवस्था बाबा के सेवकों पर क्यों छोड़ दी ?। सेवक इतनी बड़ी भीड़ नहीं संभाल पाए व यह हादसा हो गया। इस हादसे में गलती चाहे किसी की भी हो लेकिन हादसे में सैंकड़ों जाने चली गई, इसकी जिम्मेदारी किसकी है ? इस सत्संग में डेढ़ लाख लोग जुटे, पुलिस और प्रशासन कहां था ? अगर इस सत्संग की इजाज्त दी गई थी तो इजाजत देते वक्त लोगों की संख्या व सुरक्षा का ध्यान क्यों नहीं रखा गया ? हाईवे के किनारे कार्यक्रम की इजाजत क्यों दी गई ? पुलिस ने बाबा के प्राइवेट सुरक्षाकर्मियों के सहारे व्यवस्था क्यों छोड़ दी ? लोकल इंटेलिजेंस भी भीड़ का अंदाजा लगाने में क्यों फेल रहा ? यह कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनको गंभीरता से विचार करने की जरूरत है, ताकि इस तरह के हादसे आगे होने से बचाए जा सकें।

Website Design and Developed by OJSS IT Consultancy, +91 7889260252,www.ojssindia.in