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कांग्रेस नेता बोले, 365 दिन में 15 बलिदान.. 9 अग्निवीरों ने किया सुसाइड.. आखिर कौन है इसका जिम्मेदार ?।
टाकिंग पंजाब
नईं दिल्ली। केंद्र सरकार की तरफ से देश में अग्निपथ योजना लाई गई थी, जिसको लेकर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने काफी हंगामा किया था। अब एक बार फिर से अग्निवीरों के हो रहे बलिदान व आत्महत्या के मामलों में केंद्र सरकार घिरती नजर आ रही है। अग्निवीर योजना के जरिए सेना में भर्ती हो रहे ‘अग्निवीरों’ के बलिदान होने का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। एक रिपोर्ट की माने तो पिछले एक साल में 15 अग्निवीर बलिदान दे चुके हैं। कांग्रेस पार्टी के पूर्व सैनिक विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष कर्नल रोहित चौधरी का कहना है कि देश में 15वांअग्निवीर बलिदान दिया है, फिर से सुसाइड केस। दरअसल गुरुवार को जम्मू कश्मीर के अखनूर में हिमाचल प्रदेश के अग्निवीर निखिल डडवाल ने गोली मारकर खुदकुशी कर ली। यह बहुत भयावह स्थिति है कि एक साल के अंदर 15 अग्निवीर बलिदान हो चुके हैं। इनमें 9 से ज्यादा केसों में सुसाइड व संदिग्ध हालात में मौत हुई है। चौधरी ने केंद्र सरकार से सवाल किया है कि सेना में अग्निवीर जवान लगातार सुसाइड क्यों कर रहे हैं ?। कर्नल रोहित चौधरी के अनुसार इसी महीने 14वें शहीद अग्निवीर श्रीकांत चौधरी ने भी गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी। उन्होंने मोदी सरकार से कई सवाल किए हैं। उन्होंने पहला सवाल करते हुए पूछा कि सेना में अग्निवीर जवान लगातार सुसाइड क्यों कर रहे हैं ? क्या अग्निवीरों को पर्याप्त ट्रेनिंग मिल पा रही है ?। क्या छह महीने का प्रशिक्षित अग्निवीर सेना में काम करने के लिए शारीरिक व मानसिक रूप से सक्षम है ?। पिछले एक साल में कितने ‘सामान्य’ सैनिकों ने सुसाइड किया है व इसी दौरान कितने अग्निवीरों ने सुसाइड किया है ?। सरकार, संसद में श्वेत पत्र लेकर आए कि अग्निवीर सैनिक व रेगुलर सैनिक में भेदभाव क्यों है ?। कर्नल रोहित चौधरी ने कहा कि राहुल गांधी ने जब से अग्निवीर के मुद्दे को संसद में उठाया है। इस योजना की कमियां गिनाई हैं, तब से केंद्र सरकार बैकफुट पर है। कर्नल रोहित चौधरी ने कहा कि पिछले दिनों राहुल गांधी के दबाव के चलते ही अग्निवीर के पक्ष में सरकार को एकाएक रक्षा मंत्री, सैन्य अधिकारी व तीन केंद्रीय बलों के आईपीएस डीजी उतारने पड़ गए थे। राहुल गांधी ने संसद में कहा था कि अग्निवीर, लैंडमाइन ब्लास्ट में शहीद होता है तो मैं उसे शहीद कह रहा हूं, मगर भारत सरकार उसे शहीद नहीं कह रही है। एक शहीद को पेंशन मिलेगी व शहीद का दर्जा भी मिलेगा, दूसरे को यह सब नहीं मिलेगा। संसद में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि केंद्र सरकार ने अग्निवीर योजना लाकर, हिंदुस्तान के जवानों को मजदूरों में बदल दिया है। अग्निवीर योजना में बलिदान होने पर युवाओं को न बलिदान का दर्जा मिलेगा, न ही पेंशन मिलेगी। उन्हें न ही कोई अन्य सुविधा मिलेगी। चार साल बाद युवा फिर बेरोजगार हो जाएंगे। अग्निवीर योजना सेना की योजना नहीं थी, यह प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा बनाई गई थी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अग्निवीरों को सेवा के दौरान ग्रेच्युटी के अलावा अन्य लाभ न मिलने और उनके परिवार को पेंशन से वंचित करने की आलोचना की थी। राहुल गांधी ने दावा किया था कि सरकार अग्निवीरों को इस्तेमाल करके उन्हें फेंक देने वाले मजदूर के रूप में देखती है। उन्हें शहीद का दर्जा भी नहीं देती। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने राहुल की इस बात पर कहा था कि वे गलत बयानबाजी कर रहे हैं। रक्षा मंत्री ने लोकसभा में अग्निवीर भर्ती को लेकर राहुल गांधी के दावों का खंडन करते हुए कहा था कि 158 संगठनों से सुझाव लेने के बाद अग्निपथ योजना को लागू किया गया था। सीआरपीएफ, बीएसएफ और सीआईएसएफ के महानिदेशकों ने कहा था कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीएपीएफ में सिपाही के 10 फीसदी पद भूतपूर्व अग्निवीरों के लिए आरक्षित कर दिए हैं। अग्निवीरों को केंद्रीय पुलिस बलों में नौकरी भी मिलेगी। उन्हें फिजिकल टेस्ट में छूट दी जाएगी। कांग्रेस पार्टी के इस मुद्दे को उठाने के बाद एक बार फिर से अग्निवीर का मामला तूल पकड़ने लग पड़ा है।