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प्राचार्या प्रो. डॉ. अजय सरीन द्वारा गणमान्य सदस्यों का किया गया हार्दिक अभिनंदन
उनके साथ ही अमरजीत ग्रेवाल, चेयरमैन पंजाब कला परिषद स्वर्ण सिंह सवी, अश्विनी, योगराज अंगरीश भी उपस्थित रहे। समस्त कार्यक्रम का आयोजन कोआर्डिनेटर डॉ. नवरूप कौर के संरक्षण में समपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ ज्ञानात्मक ज्योति प्रज्ज्वलन कर डीएवी गान से किया गया। इस उपरांत कालेज परंपरानुसार प्राचार्या डॉ. अजय सरीन द्वारा गणमान्य सदस्यों का ग्रीन प्लांटर, ओम पताका, फाइन आट्र्स विभाग की ओर से पेंटिंग व फुलकारी भेंट कर हार्दिक अभिनंदन किया गया।
प्राचार्या डॉ. अजय सरीन ने अपने वक्तव्त का शुभारंभ पदमश्री डॉ. सुरजीत पातर को नमन करते हुए किया व कहा कि सुरजीत पातर जैसा व्यक्तित्व इस संसार में सदैव चिरंजीवी रहेगा। उन्होंने समाज को नई सोच व नई दिशा प्रदान की। उन्होंने इस उपरांत संस्था के गौरवान्वित इतिहास व उपलब्धियों से सभी को रूबरू करवाया। उन्होंने बताया कि संस्था प्रशासनिक, खेल व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सदैव अग्रणीय रही है। आर्य समाज के अग्रदूतों ने जिस नव सोच के साथ इस कालेज की स्थापना की, वह वास्तव में फलीभूत हुई है। उन्होंने आगामी समय में भी इस प्रकार के कार्यक्रमों के आयोजन का आश्वासन देते हुए कार्यक्रम कोआर्डिनेटर व पंजाबी विभागाध्यक्ष डॉ. नवरूप कौर को बधाई दी एवं शुभाशीष दिया कि यह दो दिवसीय सैमिनार चिरस्मरणीय बने।
इस उपरांत चेयरमैन पंजाब कला परिषद चंडीगढ़ स्वर्णजीत सिंह सवी ने अपने संभाषण में रिबूटिंग पंजाब, नव सृजना की संक्षिप्त जानकारी देते हुए कहा कि आज का यह समारोह वास्तव में सुरजीत पातर के स्वप्न का साकार रूप है। अमरजीत सिंह ग्रेवाल ने पंजाब नव सृजना के बारे में विस्तृत बातचीत करते हुए कहा कि आज एचएमवी के प्रांगण में आयोजित इस कार्यक्रम के कारण यह संस्था पंजाब के नवनिर्माण का आधार बनेगी। जस्टिस (रिटा.) एनके सूद ने अपने वक्तव्य में गणमान्य सदस्यों का अभिनंदन करते हुए छात्राओं को पंजाबी साहित्य, पंजाबी भाषा के प्रति आदर व सम्मान रखने हेतु प्रेरित किया।
भुपिंदर पातर ने इस भावपूर्ण समय में सुरजीत पातर के प्रति समर्पित उनके अंतिम दिनों की एक कविता प्रस्तुत कर अपनी श्रद्धांजलि दी एवं संस्था के प्रति आभार व्यक्त किया। डिप्टी कमिश्नर जालंधर हिमांशु अग्रवाल ने अपने वक्तव्य में गणमान्य सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया एवं कहा कि आज का समागम वास्तव में प्रशंसनीय है। उन्होंने इस समागम का हिस्सा बन स्वयं में मान महसूस किया एवं कहा कि यह वास्तव में ऐतिहासिक, भावनात्मक क्षण है। सम्मानित सदस्यों को सम्मानित कर उन्होंने मान महसूस किया एवं कहा कि सुरजीत पातर युगों-युगों तक हमारे भीतर विद्यमान रहेंगे।
इस अवसर पर अवार्ड समारोह में मनमोहन सिंह (मन जी) को सिनेमा के क्षेत्र में पंजाब गौरव पुरस्कार, सुभाष परिहार को ललित कलाओं के क्षेत्र में पंजाब गौरव पुरस्कार, भाई बलदीप सिंह को संगीत के क्षेत्र में, मोहिंदर कुमार को रंगमंच क्षेत्र में, जसवंत जफर को साहित्य क्षेत्र में, वरिंदर वालिया को वार्तक एवं जसबीर मंड को कहानी क्षेत्र में पंजाब मातृ भाषा अवार्ड से अलंकृत किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम में नवजोत कौर ने लोकगीत प्रस्तुत किया। डॉ. वीना अरोड़ा, डा. ज्योति गोगिया, डॉ. दीपाली के संरक्षण में तैयार स्किट उड़ान व पवन कुमारी, डॉ. संदीप के संरक्षण में तैयार गिद्दा पेश किया गया। अमनदीप कौर अधीन संगीत साज प्रस्तुत किया गया।
मंच संचालन डॉ. अंजना भाटिया द्वारा किया गया। इस अवसर पर डिजाइन विभाग व फाईन आट्र्स विभाग की ओर से डॉ. राखी मेहता, डॉ. नीरू भारती, डॉ. शैलेन्द्र कुमार के संरक्षण में आर्ट प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। समस्त कार्यक्रम के कोआर्डिनेटर डॉ. नवरूप कौर व को-कोआर्डिनेटर डॉ. संदीप कौर के संरक्षण में समपन्न हुआ। प्रबंधक कमेटी में विभागीय सदस्य कुलजीत कौर, डॉ. वीना अरोड़ा, सतिंदर कौर, डॉ. मनदीप कौर, सिमरनजीत कौर, अमनदीप कौर उपस्थित रहे। द्वितीय स्तर में बंसरी नाल बहस कौन करे संवाद का आगाज डॉ. जमीरपाल कौर, सैंट्रल यूनिवर्सिटी बठिंडा द्वारा किया गया एवं अनुजोत कौर द्वारा डॉ. सुरजीत पातर की शायरी का गायन किया गया। मंच संचालन कुलजीत कौर ने किया।

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