Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the news-portal domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in C:\inetpub\vhosts\cavarunsharma.in\talkingpunjab.in\wp-includes\functions.php on line 6131 एचएमवी में नेशनल एजुट्रस्ट ऑफ इंडिया के सहयोग से राष्ट्रीय सेमिनार का सफल आयोजन – My CMS
एचएमवी हमेशा नवाचार और पर्यावरणीय जिम्मेदारी को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध रहा है- प्राचार्य प्रो. डॉ. अजय सरीन
टाकिंग पंजाब
जालंधर। हंस राज महिला महाविद्यालय, जालंधर में प्राचार्य प्रो. डॉ. अजय सरीन के नेतृत्व में नेशनल एजुट्रस्ट ऑफ इंडिया के सहयोग से नवाचार पथ- सतत भविष्य की ओर – पर्यावरण, उद्यमिता और स्थिरता को जोड़ते हुए विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में स्थायी उद्यमिता, हरित तकनीक, अपशिष्ट प्रबंधन, नवीकरणीय ऊर्जा और पर्यावरणीय स्थिरता जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्यातिथि और रिसोर्स पर्सन के रूप में डॉ. दीपन साहू, सहायक नवाचार निदेशक, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि सतत विकास अब केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि अनिवार्यता बन चुका है। हमें तकनीक आधारित हरित नवाचारों को अपनाना होगा, ताकि आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण दोनों साथ-साथ आगे बढ़ सकें। नेशनल एजुट्रस्ट ऑफ इंडिया के समर्थ शर्मा ने सतत व्यवसाय मॉडल्स के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज की दुनिया में कंपनियों को हरित निवेश और सतत व्यापार मॉडलों को अपनाना होगा ताकि दीर्घकालिक सामाजिक और आर्थिक प्रभाव उत्पन्न किया जा सके। उद्योग, नीति और शोध के समन्वय से हम एक हरित भविष्य की नींव रख सकते हैं। इस संगोष्ठी में हरित उद्यमिता, स्थायी व्यावसायिक नवाचारों और कार्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व जैसे विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने हरित वित्तपोषण, परिपत्र अर्थव्यवस्था, सतत ब्रांडिंग और सामाजिक उद्यमिता के उभरते रुझानों पर प्रकाश डाला और बताया कि कैसे व्यापारिक गतिविधियों को पर्यावरण संरक्षण के साथ जोड़ा जा सकता है। संगोष्ठी के दौरान हरित तकनीक, अपशिष्ट प्रबंधन और नवीकरणीय ऊर्जा समाधानों पर भी चर्चा की गई। नैनो टेक्नोलॉजी, स्मार्ट ऊर्जा ग्रिड, एआई-आधारित स्थिरता मॉडल और जैव-प्लास्टिक के विकल्प जैसे विषयों पर शोध प्रस्तुत किए गए। इसके अलावा अपशिष्ट से धन सृजन, बायोचार के उपयोग और स्वच्छ ऊर्जा के लिए आईओटी-आधारित समाधान पर भी चर्चा हुई। कृषि और पर्यावरणीय चुनौतियों पर केंद्रित एक सत्र में पराली जलाने की समस्या, जलवायु-लचीली फसलों, स्मार्ट सिंचाई प्रणालियों और प्रदूषण पूर्वानुमान के लिए उन्नत कंप्यूटिंग तकनीको के बारे में विचार-विमर्श हुआ। विशेषज्ञों ने तकनीक और नीतियों के संयोजन की आवश्यकता पर बल दिया ताकि पर्यावरण क्षरण को कम किया जा सके और कृषि उत्पादकता को बनाए रखा जा सके। कार्यक्रम में हरित विपणन, उपभोक्ता व्यवहार और नैतिक व्यापार मॉडल पर भी चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने बताया कि कैसे हरित फैशन, ईको-टूरिज्म, डिजिटल मार्केटिंग और नैतिक उपभोक्तावाद का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है और यह व्यावसायिक बदलावों में सहायक हो सकता है। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. अजय सरीन ने कहा कि एचएमवी हमेशा नवाचार और पर्यावरणीय जिम्मेदारी को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध रहा है। उन्होंने कहा कि यह संगोष्ठी अकादमिक, उद्योग और नीति-निर्माताओं के बीच समन्वय का एक महत्वपूर्ण मंच साबित होगी। संयोजक डॉ. अंजना भाटिया ने कहा कि हमारा उद्देश्य युवाओं को सतत समाधान खोजने और उन्हें अपने शोध और उद्यमिता के प्रयासों में शामिल करने के लिए प्रेरित करना है। इस संगोष्ठी से मिली सीख निश्चित रूप से भविष्य की नीतियों और व्यवसायिक प्रथाओं को आकार देने में सहायक होगी। संयोजिका मीनू कोहली ने कहा कि इस संगोष्ठी ने महत्वपूर्ण संवाद और सहयोग को बढ़ावा दिया है जो सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है। कार्यक्रम का सफल आयोजन समन्वयक मीनू कोहली और सह-समन्वयक शिफाली कश्यप एवं डॉ. जसप्रीत कौर द्वारा किया गया। संगोष्ठी के अंत में धन्यवाद ज्ञापन दिया गया, जिसमें सभी विशेषज्ञों, आयोजकों और प्रतिभागियों की सराहना की गई।