समाजसेवी रमन बठला व तेजस्वी मिन्हास ने की आरोपियों पर कार्रवाई की मांग.. बड़े कॉलोनाइज़र पर लगे पेड़ काटने के आरोप, पर्यावरण प्रेमियों में भारी रोष..
टाकिंग पंजाब
जालंधर। आज से कुछ दिन पहले मैकडोनाल्ड रोड पर 50 से ज्यादा हरे-भरे पेड़ों को रात के अंधेरे में काटने का मामला सामने आया था। इस मामले के सामने आने के बाद पर्यावरण प्रेमियों को काफ़ी दुःख पहुंचा है। सबसे ज्यादा दुःख इन पेड़ को लगाने व उसकी संभाल करने वालों को हुआ है। इस मामले में समाजसेवी तेजस्वी मिनहास ने शिकायत भी दर्ज करवाई है, लेकिन अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे लोगों में रोष पाया जा रहा है।


इस मामले के बारे में समाजसेवी रमन बठला ने बताया कि मैकडोनाल्ड रोड पर 50 के करीब हरे-भरे पेड़ों को रात के अंधेरे में काट दिया गया। पता चला है कि एक बड़े कॉलोनाइज़र ने न केवल इन पेड़ों को रातों-रात कटवा दिया बल्कि उनके अवशेषों को भी पूरी तरह मिटाने की कोशिश की, ताकि पता ही न चल सके कि यहां कभी कोई पेड़ था। इतना ही नहीं पेड़ की जो कुछ शाखाएँ बची थीं, उन्हें भी हटा दिया गया। उन्होंने कहा कि काटे गए पेड़ों की उम्र लगभग 8 साल थी, जो कि क्लोनाइजर की जगह पर नहीं, बल्कि सरकारी ज़मीन पर सड़क के किनारे लगे हुए थे।
समाजसेवी रमन बठला ने कहा कि यह पेड़ किसी को तकलीफ नहीं देते थे, बल्कि स्थानीय लोगों को घनी छाँव देते थे व स्वच्छ हवा देकर वातावरण को भी संतुलित बनाए हुए थे। उन्होंने कहा है कि इन सैकड़ों पेड़ों के इस ‘क़त्ल’ ने हर संवेदनशील व्यक्ति को गहराई तक झकझोर दिया है। सभी वातावरण प्रेमियों को इन पेड़ो के हुए कत्ल के बारे में आवाज उठानी चाहिए ताकि इस मामले में दोषियों को सजा दिलाई जा सके। इस मामले में प्रशासन की चुप्पी वातावरण प्रेमियों को आहत कर रही है व अब सबकी नज़र इस बात पर है कि प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है।
उधर समाजसेवी तेजस्वी मिनहास का कहना है कि इंसान को प्रकृति से सीखने की बजाय उसे नष्ट करने की आदत पड़ चुकी है। अपने फायदे के लिए वह अब हरे-भरे पेड़ों का ‘क़त्ल’ करने से भी नहीं झिझकता। उन्होंने कहा कि विकास करने में कौन बुराई नहीं है, लेकिन अगर यह विकास प्रकृति की कीमत पर हो रहा है, तो यह गलत है। इस मामले में स्थानीय निवासियों ने भी कहा कि वे रोज़ इन पेड़ों की हरियाली देखकर खुश होते थे, उनकी स्वच्छ हवा में सांस लेकर खुद को ताज़ा महसूस करते थे, लेकिन जब उन्हे पेड़ों के कटने का पता चला तो उन्हें बहुत दुःख हुआ।
पर्यावरण प्रेमियों ने मांग की है कि जिन लोगों ने इस तरह बिना अनुमति के पेड़ काटने की हिम्मत की है, उनके ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई होनी चाहिए। अगर कॉलोनाइज़र ने बिना सरकारी मंज़ूरी के यह काम किया है, तो उस पर मुकदमा दर्ज कर उसे कम से कम उतनी ही उम्र के 10 गुना अधिक पेड़ लगवाने का आदेश दिया जाना चाहिए। लोगों का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर पेड़ों को जड़ से उखाड़ना और उन्हें मिटा देना कोई मामूली घटना नहीं है। इस बर्बर हरकत ने पूरे इलाके में ग़ुस्से की लहर पैदा कर दी है।