गुलामनबी आजाद के आजाद होने के बाद अब तिवारी ने पाटी को दिखाए बागी तेवर

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कहा..इस संस्था में हम किराएदार नहीं है, हिस्सेदार हैं..हमें किसी से कोई सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं

आजादी के पार्टी छोड़ने पर कांग्रेसी नेताओं ने छोड़े शब्दों के बाण..कहा इनको सभी कुछ मिलता था, अगर एक बार नहीं मिला तो नाराज हो गए।

टाकिंग पंजाब

नईं दिल्ली। मैंने 42 साल इस पार्टी को दिए हैं व हमें किसी से कोई सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। इस संस्था में हम किराएदार नहीं है, हिस्सेदार हैं। आप धक्के मारकर निकालने की कोशिश करोगे तो देखा जाएगा। इन बातों का प्रग्टावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पंजाब के आनंदपुर साहिब से कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने किया। गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस से इस्तीफे के एक दिन बाद ही तिवारी के बगावती तेवरों से पता चलता है कि कांग्रेस में कुछ न कुछ तो ठीक नहीं चल रहा है।

  मनीष तिवारी ने कहा, ‘मैं गुलाम नबी आजाद पर कमेंट नहीं करना चाहता। उनके पत्र के गुण-दोष में नहीं जाना चाहता। मुझे लगता है कि 20 दिसंबर 2020 को सोनिया गांधी के आवास पर हुई बैठक में सहमति बन गई होती तो आज पार्टी के सीनियर नेता छोड़कर नहीं जाते। तिवारी ने कहा कि हम में से 23 लोगों ने 2 साल पहले सोनिया गांधी को लिखा था कि पार्टी की स्थिति चिंताजनक है व इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। उस पत्र के बाद कांग्रेस सभी विधानसभा चुनाव हार गई।

गुलाम नबी के इस्तीफा देने पर जाखड़ ने कहना है कि कांग्रेस के अंत की शुरुआत है। कांग्रेस का अंत अभी और गति पकड़ेगा। कांग्रेस के लिए अब अपनी कमजोरियों को देखने का समय है। उधर आजाद के पार्टी छोड़ने के बाद कांग्रेस के अलग अलग नेताओं ने इस पर प्रक्रिया दी है। आजाद के पार्टी छोड़ने पर नेता आनंद शर्मा ने कहा कि आजाद के फैसले ने मुझे चौंका दिया है।

  मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि आज हम सभी को आरआरएस व भाजपा के खिलाफ लड़ना है। लड़ाई के समय युद्ध से भागना पार्टी के साथ धोखा है। कांग्रेस ने उन्हें सब कुछ दिया है व ऐसे समय में आपका फर्ज है उस कर्ज को चुकाना। 

इस मुद्दे पर कांग्रेसी नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि हर बार इनको कुछ मिलता था व अगर एक बार नहीं मिला तो वह नाराज हो गए। मैं नहीं समझता कि अगर मुझे कुछ नहीं मिला तो मैं पार्टी को नुकसान पहुंचाऊं।

भूपेश बघेल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने उनको वह सारी जिम्मेदारियां दी जो दी जा सकती थीं, लेकिन फिर भी वह खामियां निकालते रहे। उनके जाने से पार्टी को कुछ नुकसान नहीं होगा। जी-23 ग्रुप के एक अन्य सदस्य संदीप दीक्षित ने आजाद को पत्र लिखा और कहा है कि बात पार्टी में बदलाव की थी, आप तो बगावत कर दिए।

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