सुनील जाखड़ को प्रदेश अध्यक्ष बना भाजपा ने खेला दो समुदाय के संयुक्त चेहरे पर दाव

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जाखड़ के नाम पर लगाई पीएम मोदी व गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी मुहर.. दो बार विधायक व एक बार लोकसभा सदस्य बन चुके हैं जाखड़

टाकिंग पंजाब

चंडीगढ़। साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा कईं तरह के बड़े फैंसले ले रही है। पंजाब में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए पूरी कोशिश में लगी भाजपा ने एक ओर बड़ा दांव खेला है। भाजपा ने पंजाब अध्यक्ष अश्विनी शर्मा के इस्तीफे के बाद प्रदेश में हिंदू व जट्ट समुदाय वे संयुक्त चेहरे सुनील जाखड़ पर अपना दाव लगाया हैं। भाजपा का शहरों में आधार तो था, लेकिन गांवों में उसका अधार शिरोमणि अकाली दल से गठबंधन टूटने के बाद कम हो गया था।
    इसके चलते भाजपा लगातार ऐसे चेहरे की तलाश में जुटी हुई थी जो शहरों व गांवों में संयुक्त रूप से प्रभाव रखता हो। भाजपा की यह तालाश सुनील जाखड पर आकर खत्म हुई क्योंकि सुनील जाखड एक ऐसा चेहरा हैं जो कि न केवल गांव से जुड़े हैं बल्कि शहरों में भी अच्छी पकड़ रखते हैं। यही कारण है कि पंजाब भाजपा ने उनके नाम पर दांव खेला है। माना जा रहा है कि जाखड़ के नाम पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी अपनी मुहर लगा दी थी।
     अभी तक प्रदेश की कमान संभाल रहे अश्वनी शर्मा की कार्यप्रणाली सवालिया घेरे में चल रही थी। भाजपा को ऐसा लग रहा था कि अश्वनी शर्मा की कार्यकाल में पार्टी पंजाब में अपनी पैठ को मजबूत नहीं कर सकती है। यही कारण है कि भाजपा ने पहली बार किसी दूसरी पार्टी से आए नेता के हाथों में पंजाब अध्यक्ष की कमान देने का फैसला किया है। सुनील जाखड़ की बात करें तो वह कांग्रेस में रहते हुए दो बार विधायक और एक बार लोकसभा के सदस्य बन चुके हैं।
    वह प्रदेश कांग्रेस की कमान संभाल चुके हैं व 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान जाखड़ ने सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा भी कर दी थी। माना जा रहा था कि इसका मुख्य कारण 2021 में कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद उनको मुख्यमंत्री न बनाया जाना था। दरअसल, 2021 में कांग्रेस ने कैप्टन को हटाने के बाद जाखड़ को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला कर लिया था।  कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इसके लिए मन बना लिया था। जाखड़ का नाम मुख्यमंत्री के लिए आने के बाद कांग्रेस ने विधायकों की राय लेने का फैसला किया।
     इसमें 77 विधायकों में से 43 विधायक जाखड़ को मुख्यमंत्री बनाने के पक्ष थे। इसके बावजूद कांग्रेस ने बिना सोचे समझे चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला कर लिया। यह ही कारण था कि जाखड़ ने सक्रिय राजनीति से न सिर्फ संन्यास लिया बल्कि चुनाव भी नहीं लड़ा। हालांकि विधानसभा चुनाव के बाद जाखड़ ने भाजपा ज्वाइन कर ली थी। वह तब से ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पहली पसंद बने हुए थे, जिसका इनाम उन्हें अब प्रदेश अध्यक्ष बना कर दिया गया है।

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