विक्रम लैंडर को 40 सेमी ऊपर उठाया गया व 30 से 40 सेमी की दूरी पर उसे सुरक्षित लैंड करा दिया- इसरो
टाकिंग पंजाब
नई दिल्ली। भारत के चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के कुछ दिनों बाद इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन के विक्रम लैंडर ने चांद की सतह पर फिर से ‘सॉफ्ट-लैंडिंग’ करवाई। इस बारे में जानकारी देते हुए इसरो ने कहा कि विक्रम लैंडर ने चंद्रयान-3 मिशन के उद्देश्यों से ज्यादा काम किया है और ‘हॉप एक्सपेरिमेंट’ सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। विक्रम लैंडर को 40 सेमी ऊपर उठाया गया व 30 से 40 सेमी की दूरी पर उसे सुरक्षित लैंड करा दिया जिसे हॉप एक्सपेरिमेंट यानी जंप टेस्ट कहा। इसरो ने आगे कहा कि इस प्रक्रिया से भविष्य में ‘सैंपल’ वापसी और चंद्रमा पर मानव अभियान को लेकर आशाएं बढ़ीं हैं। इस दौरान लैंडर ने इंजन चालू किया। रैंप को दोबारा खोला और बंद किया। दोबारा सफल लैंडिंग के बाद सभी उपकरणों को पहले की तरह सेट कर दिया गया। इससे पहले प्रज्ञान रोवर के बारे में इसरो ने जानकारी देते हुए बताया था कि चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर अपना काम पूरा कर लिया है और अब यह स्लीप मोड अवस्था में चला गया है। इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा था कि चंद्रमा पर भेजे गए चंद्रयान-3 के रोवर और लैंडर ठीक से काम कर रहे हैं और चूंकि चंद्रमा पर अब रात हो जाएगी इसलिए इन्हें ‘निष्क्रिय’ किया जाएगा। रोवर को ऐसी दिशा में रखा गया है कि 22 सितंबर 2023 को जब चांद पर अगला सूर्योदय होगा तो सूर्य का प्रकाश सौर पैनलों पर पड़े। इसके रिसीवर को भी चालू रखा गया है। उम्मीद की जा रही है कि 22 सितंबर को ये फिर से काम करना शुरू करेगा। चंद्रयान-3 मिशन 14 दिनों का ही है। ऐसा इसलिए क्योंकि चंद्रमा पर 14 दिन तक रात और 14 दिन तक उजाला रहता है। रोवर-लैंडर सूर्य की रोशनी में तो पावर जनरेट कर सकते हैं, लेकिन रात होने पर पावर जनरेशन प्रोसेस रुक जाएगी। पावर जनरेशन नहीं होगा तो इलेक्ट्रॉनिक्स भयंकर ठंड को झेल नहीं पाएंगे और खराब हो जाएंगे। बता दें कि इसरो ने 23 अगस्त को 30 किमी की ऊंचाई से शाम 5 बजकर 44 मिनट पर ऑटोमैटिक लैंडिंग प्रोसेस शुरू किया व अगले 20 मिनट में सफर पूरा कर लिया। चंद्रयान-3 ने 40 दिन में 21 बार पृथ्वी और 120 बार चंद्रमा की परिक्रमा की। चंद्रयान ने चांद तक 3.84 लाख किमी दूरी तय करने के लिए 55 लाख किमी की यात्रा की।