मां के नक्शे कदम पर चलते हुए हरमिलन बैंस ने एशियन गेम्स में जीते 2 सिल्वर मैडल
टाकिंग पंजाब
जालंधर। अपनी मां के नक्शे कदम पर चलने वाली सिल्वर गर्ल्ज हरमिलन बैंस का सपना है कि वह एक दिन गोल्डन गर्ल्ज के नाम से जानी जाए। हरमिलन बैंस का सपना है कि वह एक दिन एशियन गेम्स में सोना जीतकर देश का नाम रोशन करे। हरमिलन बैंस ने एशियन गेम्स में 800 मीटर व 1500 मीटर में सिल्वर मैडल हासिल किया है। हरमिलन बैंस जो कि हंसराज महिला महाविद्यालय, जालंधर में एमए इंग्लिश की छात्रा है, आज कालेज की छात्राओं के रूबरू हुईं।
हरमिलन बैंस का कहना है कि उनकी माता माधुरी सिंह ने भी 2002 में हुई एशियन गेम्स में सिलवर मैडल हासिल किया था। उन्होंने कहा कि अब उनकी नजर देश एशियन गेम्स में गोल्ड मैडल पर है, जो कि वह हासिल करके ही रहेंगी। उधर एचएमवी पहुंचने पर हरमिलन बैंस का ढोल की थाप पर भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान हरमिलन बैंस के माता-पिता भी उसके साथ थे। इस दौरान हरमिलन ने ढोल की थाप पर भंगड़ा भी डाला। इस अवसर पर हरमिलन बैंस ने कहा कि एचएमवी में हुए भव्य स्वागत से वह काफी खुश है।
एचएमवी उसके लिए बहुत लक्की रहा है, जिसके चलते उसने एशियन गेम्स में दो सिल्वर मैडल जीते हैं। इस दौरान हरमिलन की आंखों में थोड़ी नमी भी देखी गई। इसके अलावा हरमिलन बैंस ने इस यादगार पर को याद रखने के लिए एक पौधा भी लगाया गया। प्राचार्या प्रो. डॉ. अजय सरीन ने हरमिलन को सम्मानित किया तथा छात्राओं से प्रेरणा लेने की बात की।
प्राचार्या प्रो. डॉ. अजय सरीन ने डीएवी प्रबन्धकरी समिति के प्रधान पदमश्री डॉ. पूनम सूरी की निरंतर स्पोर्ट के लिए उनका धन्यवाद किया। उन्होंने स्पोटर्स विभाग के फैकल्टी सदस्यों डॉ. नवनीत, रमनदीप कौर और प्रगति को भी बधाई दी। इस अवसर पर लोकल एडवाइजरी कमेटी के चेयरमैन जस्टिस (रिटा.) एनके सूद, अरुणिमा सूद, वाईके सूद, कुन्दन लाल अग्रवाल, सुरेन्द्र सेठ व सुधीर शर्मा उपस्थित थे।