निमंत्रण पत्र ठुकराने को लेकर कांग्रेस ही हुई दोफाड़.. कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद ने कहा, यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण व आत्मघाती फैसला
टाकिंग पंजाब
नईं दिल्ली। देश में बनकर तैयार हो चुके राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर भी राजनीति तेज हो गई है। इस प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कांग्रेस सहित कईं अन्य पार्टीयों ने शामिल होने से इंकार कर दिया है। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे व सोनिया गांधी ने तो बीते दिन राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण को स्वीकार तक नहीं किगया था। इन नेताओं का कहना था कि यह भाजपा व आरएसएस का एक समारोह है। हालांकि निमंत्रण ठुकराने को लेकर कांग्रेस भी दो हिस्सों में विभाजित होती दिख रही है।
कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद ने निमंत्रण को ठुकराने को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और आत्मघाती फैसला बताया है। कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद ने कहा कि पार्टी के इस फैसले से मेरा दिल टूट गया है। वहीं, गुजरात के कांग्रेस विधायक अर्जुन मोढवाडिया ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की है। आपको बता दें कि राम मंदिर समारोह में केवल कांग्रेस ही नहीं, कई और पार्टियों ने भी शामिल होने से मना किया है। कांग्रेस पार्टी के इस कार्यक्रम में शामिल न होने के ऐलान के बाद भाजपा ने हमलावर रुख अपना लिया है। भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा है कि कार वकों पर गोली चलाने वाले आ रहे हैं, लेकिन कांग्रेस नहीं।
दरअस्ल राम मंदिर के इस समारोह में शामिल होने के लिए कांग्रेस के साथ कईं अन्य पार्टीयों ने मना कर दिया है। शिवसेना (यूबीटी) भी राम मंदिर समारोह में शामिल न होने की बात कह चुका है। शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि पार्टी का कोई भी नेता इसमें शामिल नहीं होगा। राउत ने कहा कि यह भाजपा का कार्यक्रम है और इसमें हमारा कोई कार्यकर्ता शामिल नहीं होगा। उधर दूसरी तरफ सीपीएम ने भी राम मंदिर कार्यक्रम से किनारा किया है। सीपीएम नेता वृंदा करात और सीताराम येचुरी ने इसे एक धर्म को बढ़ावा देने का कार्यक्रम बताया है।
वहीं, ममता बनर्जी का इस समारोह में शामिल होना भी मुश्किल लग रहा है। इसको लेकर वो अपनी पार्टी के नेताओं को संकेत भी दे चुकी हैं। इनके अलावा अखिलेश यादव भी इस कार्यक्रम से दूरी बनाते दिख रहे हैं। इसका कारण यह है कि विश्व हिंदू परिषद की तरफ से आलोक कुमार अखिलेश यादव को निमंत्रण देने गए थे, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया। अखिलेश यादव ने तो यहां तक कह दिया कि हम जिसे जानते नहीं उससे निमंत्रण नहीं लेते। हालांकि अखिलेश ने इतना जरूर कहा कि हमारे आराध्य प्रभु श्रीराम आ रहे हैं और जब वो बुलाएंगे हम जाएंगे। शायद अखिलश यादव को लग रहा है कि राम उनको खुद आऐंगे।
कांग्रेस के राम मंदिर समारोह में हिस्सा ने लेने के ब्यान पर भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि यह नेहरू की कांग्रेस है, यह महात्मा गांधी की कांग्रेस नहीं है। गांधी की समाधि पर लिखा है हे राम। इन्होंने इस अवसर को अपने हाथ से गंवाया है। भाजपा नेता ने यह भी कहा कि उन लोगों को निमंत्रण भेजा गया, जिन लोगों ने कारसेवकों व रामभक्तों पर गोलियां चलाई थी। वो लोग भी इस समारोह में शामिल होंगे, लेकिन कांग्रेस इस समारोह में नहीं आएगी। सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि कांग्रेस ने हिंदू धर्म के विरोध दर्शााया है। चंद कट्टरपंथी विचारधारा वोटों की वजह से कांग्रेस ने यह फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि राम नाम कड़वा लगे और प्यारा लगे राम, दुविधा में दोनो गए, माया मिली न राम।