इनोसेंट हार्ट्स ने मनाई बाबा साहेब अंबेडकर जयंती तथा कृषि पर्व बैसाखी

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पंजाबी सभ्यता पर प्रकाश डालते हुए बच्चों को बताया गया बैसाखी पर्व का ऐतिहासिक महत्व

टाकिंग पंजाब

जालंधर। इनोसेंट हार्ट्स के पाँचों स्कूलों (ग्रीन मॉडल टाऊन, लोहारां, कैंट जंडियाला रोड, नूरपुर रोड,कैंट जंडियाला रोड व कपूरथला रोड) में बैसाखी पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया। विशेष प्रार्थना सभा में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की संविधान- निर्माण में अहम भूमिका तथा उनके तीन मूलभूत सिद्धांतों स्वतंत्रता, समानता व बंधुत्व से सबको अवगत करवाया गया। पंजाबी सभ्यता पर प्रकाश डालते हुए बच्चों को बैसाखी पर्व का ऐतिहासिक महत्व बताया गया।        इनोसेंट हार्ट्स स्कूल इनोकिड्स के प्रांगण को फुलकारी,किसानों के कट-आऊट,ढोल और गुब्बारों से सजाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत शबद-गायन से की गई। पारंपरिक लोक परिधानों में सजे नन्हे मुन्ने बच्चों ने ढोल की थाप पर भाँगड़ा किया। कक्षा पहली के बच्चों ने ‘पंजाब दी शान पंजाबी’ थीम पर पंजाबी वेशभूषा धारण कर पंजाबी सभ्यता को प्रस्तुत किया। कक्षा दूसरी के बच्चों ने ‘ढोल धमाका’ थीम पर पंजाबी बोली में बोलियाँ गाते हुए गिद्दा प्रस्तुत किया।       विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत गिद्दा और भाँगड़ा ने पूरे परिवेश को मनोरंजक व खुशनुमा बना दिया। कक्षा तीसरी व चौथी के विद्यार्थियों ने ‘बचपन दीयां यादां’ – पिन व्हील डेकोरेशन एक्टिविटी में भाग लिया। शर्मिला नाकरा (डिप्टी डायरेक्टर कल्चरल अफेयर्स) ने विद्यार्थियों को पंजाब की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से परिचित करवाते हुए कृषि पर्व बैसाखी के त्यौहार का महत्व बताया। डॉ. बीआर अंबेडकर जी के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने विद्यार्थियों को उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।       इनोसेंट हार्ट्स कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन, जालंधर ने वसंत फसल उत्सव बैसाखी मनाया, एल्युमिनी सदस्य कुलविंदर कुमार ने बैसाखी त्योहार के धार्मिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस दिन सिक्खों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी के नेतृत्व में 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की गई थी। विद्यार्थी-अध्यापिका परमप्रीत कौर ने भारतीय किसानों के लिए बैसाखी त्योहार के महत्व को समझाया। अपने सांस्कृतिक परिधानों में सजकर विद्यार्थी-अध्यापिका सोनिया व सारिका ने गिद्दा प्रस्तुत किया। विद्यार्थी-अध्यापिका कोमल व पूनम द्वारा पंजाबी भाषा में बोलियाँटप्पों का उच्चारण किया गया, जिसमें सभी ने भरपूर आनंद लिया।

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