चुनावों से पहले सरकारी संस्थाओं, मीडिया व जांच एजेंसियों पर था उनका कब्जा… निष्पक्ष चुनाव होते तो 246 तक भी नहीं पहुंचती भाजपा
टाकिंग पंजाब
वर्जीनिया। भाजपा व प्रधानमंत्री मोदी ने इतना डर फैलाया, छोटे व्यवसायियों पर एजेंसियों पर दबाव बनाया, सब कुछ सेकेंड में गायब हो गया। उन्हें यह डर फैलाने में सालों लग गए और कुछ सेकेंड में सब गायब हो गया। इन बातों का प्रग्टावा अमेरिका दौरे पर गए राहुल गांधी ने मंगलवार को वर्जीनिया के हर्नडन में भारतीय समुदाय के लोगों से किया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस समय 3 दिन के अमेरिका दौरे पर हैं। नेता विपक्ष के तौर पर उनका यह पहला विदेशी दौरा है। वर्जीनिया के हर्नडन में भारतीय समुदाय से बात करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद कुछ बदल गया है। अब डर नहीं लगता। डर निकल गया है राहुल गांधी ने कहा कि संसद में मैं प्रधानमंत्री को सामने देखता हूं। मैं बता सकता हूं मोदी के विचार, 56 इंच का सीना, भगवान से सीधा संबंध, यह सब अब खत्म हो गया है, यह सब अब इतिहास बन गया है। इस बातचीत के दौरान राहुल गांधी ने आरक्षण खत्म करने से लेकर बीजेपी के प्रर्दशन पर कुछ बाते कहीं। राहुल गांधी ने कहा कि आरक्षण खत्म करने का अभी सही समय नहीं है। कांग्रेस आरक्षण खत्म करने के बारे में तब सोचेगी, जब सही समय होगा। जब आप वित्तीय आंकड़ों को देखते हैं, तो आदिवासियों को 100 रुपए में से 10 पैसे मिलते हैं, दलितों को 100 रुपए में से 5 रुपए मिलते हैं व ओबीसी को भी लगभग इतनी ही रकम मिलती है। इसके आलावा राहुल गांधी ने कहा कि भारत के बिजनेस लीडर्स की लिस्ट देखें। जातिगत जणगणना जरूरी है। भारत के दलित, ओबीसी, आदिवासी को उनका हक नहीं मिल रहा है। राहुल गांधी ने कहा कि मुझे लगता है कि टॉप 200 में से एक ओबीसी है, जबकि वह भारत में 50 प्रतिशत हैं, लेकिन हम इस बीमारी का इलाज नहीं कर रहे हैं। देश के 90 प्रतिशत आबादी वाले ओबीसी, दलित और आदिवासी इस खेल में ही नहीं हैं। जातिगत जनगणना यह जानने का आसान तरीका है कि निचली जातियां, पिछड़ी जातियां और दलित किस स्थिति में हैं। देश के सर्वोच्च न्यायालय में देखिए, उनकी कोई भागीदारी नहीं है। मीडिया में देखिए, वहां निचली जातियां, ओबीसी, दलित हैं ही नहीं। हम में से ज्यादातर जाति जनगणना के विचार पर सहमत हैं। एक अन्य सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि हमने पहले भी गठबंधन चलाया है। हमारा गठबंधन इंडिया इस बात पर सहमत है कि भारत के संविधान की रक्षा की जानी चाहिए। भारत के बिजनेस को सिर्फ दो लोग अडानी और अंबानी नहीं चला सकते। राहुल गांधी ने कहा कि हमने बार-बार गठबंधन सरकारें चलाई हैं, जो सफल रही हैं। हमें पूरा यकीन है कि हम ऐसा फिर से कर सकते हैं। गठबंधन का पूरा विचार लोगों को यह बताना था कि भारत पर हमला हो रहा है और यह बहुत सफल रहा। इस दौरान राहुल गांधी ने चुनाव की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए। राहुल गांधी ने कहा कि अगर निष्पक्ष चुनाव होते तो बीजेपी 246 के करीब नहीं होती। चुनावों से पहले, हम इस बात पर जोर देते रहे कि संस्थाओं पर कब्जा कर लिया गया है। एजुकेशन सिस्टम पर आरएसएस का कब्जा है। मीडिया और जांच एजेंसियों पर उनका कब्जा है। मैंने संविधान को सामने रखना शुरू किया। अगर संविधान खत्म हो गया, तो पूरा खेल खत्म हो जाएगा। लोगों ने समझा कि जो संविधान की रक्षा कर रहे हैं और जो इसे नष्ट करना चाहते हैं, यह उनके बीच की लड़ाई है। राहुल गांधी ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि निष्पक्ष चुनाव होते तो बीजेपी 246 के करीब होती। हालात यह थे कि चुनाव से पहले बैंक अकाउंट सील कर दिए गए। हमारी पार्टी के फाइनेंस डिपार्टमेंट के एक व्यक्ति ने बताया कि हमारे सभी खाते सील हो गए। हमारे पास विज्ञापन व कैंपेनिंग तक के पैसे नहीं थे। नेताओं के आने-जाने के लिए भी रकम नहीं थी। मेरे सामने भी ऐसा पहला अनुभव था। ट्रेजरर ने मुझसे कहा था कि पैसे नहीं हैं। मैंने जवाब दिया कि जो होगा, देखा जाएगा। हमने इसी स्पिरिट के साथ आम चुनाव लड़ा। इस दौरान राहुल ने कहा कि देश सबका है, यह बीजेपी नहीं मानती है। बीजेपी को समझ में नहीं आता कि यह देश सबका है। भारत एक संघ है। संविधान में साफ लिखा है। भारत एक संघ राज्य है, जिसमें विभिन्न इतिहास, परंपराएं, संगीत व नृत्य शामिल हैं। राहुल गांधी ने कहा कि बीजेपी कहती है कि यह संघ नहीं है, यह अलग है। आरएसएस भारत को नहीं समझती। आरएसएस कहती है कि कुछ राज्य दूसरे राज्यों से कमतर हैं। कुछ भाषाएं दूसरी भाषाओं से, कुछ धर्म दूसरे धर्मों से, कुछ समुदाय दूसरे समुदाय से कमतर हैं। हर राज्य का अपना इतिहास, परंपरा है। आरएसएस की विचारधारा में तमिल, मराठी, बंगाली, मणिपुरी है, यह कमतर भाषाएं हैं। इसी बात पर लड़ाई है। आरएसएस भारत को नहीं समझती। इस दौरान उन्होंने कहा कि UCC पर अभी टिप्पणी नहीं करूंगा। हम समान नागरिक संहिता पर तभी कुछ कहेंगे जब पता चलेगा कि बीजेपी का प्रस्ताव क्या है। हमने इसे नहीं देखा है। हमें नहीं पता कि वह किस बारे में बात कर रहे हैं। हमारे लिए इस पर टिप्पणी करने का कोई मतलब नहीं है। जब वह इसे लाएंगे, तब हम इसे देखेंगे और इस पर टिप्पणी करेंगे।