इनोसेंट हार्ट्स आई सेंटर ने ग्लासेस-फ्री विजन के लिए शुरुआत की एडवांस्ड ‘स्माइल प्रो’ तकनीक

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यह तकनीक लेजर का उपयोग करके आँखों की समस्याओं को ठीक करती है- डॉ. रोहन बौरी

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जालंधर। यह अत्यंत गर्व का विषय है कि डॉ. रोहन बौरी तथा डॉ. सौरभ सूद के विशेष प्रयासों द्वारा दुनिया भर में अपनाई जा रही ‘स्माइल प्रो’ तकनीक को जालंधर में उपलब्ध करवाया जा रहा है। विशेष रूप से आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य रूप से डॉ. गणेश, डॉ. रमेश सूद, डॉ. अनूप बौरी, डॉ. सौरभ सूद व डॉ. रोहन बौरी उपस्थित थे। इस अवसर पर डॉ. रोहन बौरी तथा डॉ. सौरभ सूद ने जानकारी देते हुए बताया कि इनोसेंट हार्ट्स आई सेंटर में ‘आई क्लिनिक ए रिफ्रैक्टिव स्वीट’ जो कि आईएचईएस हॉस्पिटल, प्राइवेट लिमिटेड का ही एक यूनिट है, स्माइल प्रो को उपलब्ध करवाया जा रहा है।       इस तकनीक का अनावरण करने के लिए गणेश विशेष रूप से पधारे हैं, जो कि विश्व विख्यात व अनुभवी स्माइल सर्जन तथा स्माइल प्रो व विजूमैक्स 800 के निर्माता हैं। भारत की पहली स्माइल प्रो उनके सेंटर में ही स्थापित की गई थी। स्माइल प्रो तकनीक एक नवीनतम और सुरक्षित रोबोटिक बेस्ड लेजर तकनीक है, जिसे चश्मा मुक्त दृष्टि प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। स्माइल प्रो एक ऐसी सर्जरी है जिसके अंदर कोई फ्लैप नहीं बनाते। यह एक लेंटिक्यूल बेस्ड प्रोसीजर है।       साधारणतया लेसिक के अंदर एक 270 डिग्री का एक फ्लैप बनाया जाता है पर स्माइल में जो कॉर्निया है उसके बीच का हिस्सा जिसको स्ट्रोमा कहते हैं, उसके अंदर लेजर के साथ 360 डिग्री में एक लेंटिक्यूल बनाते हैं और जिसमें सिर्फ दो मिलीमीटर (10 डिग्री) का कट लगता है जिसमें से वो लेंटिक्यूल बाहर निकाल लिया जाता है और यह दर्द रहित होता है और इसकी रिकवरी बहुत शीघ्रता से होती है‌ दर्द रहित इस सर्जरी द्वारा रोगी दो दिन के अंदर ही पूर्णतया अपनी दैनिक गतिविधियों को स्वयं कर सकता है।        इस सर्जरी से 18 से 40 वर्ष की आयु वाले उन लोगों के चश्मे उतार सकते हैं, जिनको मायोपिया है, हाइपरमेट्रोपिया है या फिर मायोपिक एस्टिकमैजिम है। डा. रोहन बौरी का कहना है कि जो हाइपरमेट्रोपिया है, उसका सॉफ्टवेयर भी दो से तीन महीने तक आ जाएगा और फिर इसके ऊपर भी सर्जरी शुरू हो जाएगी। यह तकनीक लेजर का उपयोग करके आँखों की समस्याओं को ठीक करती है तथा चश्मा हटाने में मदद करती है।

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