मुख्य वक्ता न्यायिक मजिस्ट्रेट डॉ. गगनदीप कौर ने करवाया कानून के हर पहलु से अवगत
हम सभी को होना चाहिए अपने अधिकारों के प्रति जागरूक… प्राचार्य डॉ. संजीव नवल
टाकिंग पंजाब
सुश्री परवीन अबरोल ने कहा कि लोक अदालतें समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं व समय और ऊर्जा की बचत करती हैं। उन्होंने आज के समाज में महिला सशक्तीकरण के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि लिंग के बावजूद सभी को समान अधिकार हैं। महिलाएं आर्थिक और सामाजिक रूप से बैकफुट पर रही हैं, लेकिन अच्छी बात यह है कि अब महिलाएं अपनी वास्तविक क्षमता को पहचान रही हैं और पुरुषों से आगे निकल रही हैं।
प्राचार्य डॉ. संजीव नवल ने कहा कि हम सभी को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए, लेकिन साथ ही हमें उन कानूनी मार्गदर्शन व सेवाओं के बारे में पता होना चाहिए जो हमारे लिए आसानी से उपलब्ध हैं। उन्होंने डॉ. बीआर अम्बेडकर का जिक्र करते हुए उन्हें भारत के संविधान के निर्माण का श्रेय दिया, जो सभी के हितों की रक्षा करता है। उन्होंने विद्यार्थियों व शिक्षकों को जागरूक करने के लिए मुख्य वक्ता डॉ. गगनदीप कौर का धन्यवाद किया।
जालंधर। राष्ट्रीय सेवा योजना विभाग व डेवियट की आंतरिक शिकायत समिति की तरफ से संस्थान में जिला कानूनी सेवाओं पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का आयोजन अदालती मामलों के संचालन में मुफ्त कानूनी सेवाओं के साथ-साथ परामर्श व कानूनी सलाह के रूप में मुफ्त और सक्षम कानूनी सहायता की उपलब्धता के बारे में छात्रों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए किया गया था।
मुख्य वक्ता डॉ. गगनदीप कौर, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, जालंधर रही, जिनका स्वागत संस्थान प्रिंसिपल डॉ. संजीव नवल ने किया। इस दौरान स्पीकर डॉ. गगनदीप कौर और रिसोर्स पर्सन सुश्री परवीन अब्रोल भी शामिल हुए। डॉ. गगनदीप ने संविधान के अनुच्छेद 39 ए जैसे विभिन्न लेखों पर चर्चा की जो सभी के लिए न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करता है। उन्होंने इस तथ्य को भी साझा किया कि किसी भी जरूरतमंद के लिए ठोस कानूनी सलाह व सेवाएं उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि विभाग का उद्देश्य उन विचाराधीन कैदियों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करना है, जिनके मामले अदालतों में लंबित हैं।
सुश्री परवीन अबरोल ने कहा कि लोक अदालतें समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं व समय और ऊर्जा की बचत करती हैं। उन्होंने आज के समाज में महिला सशक्तीकरण के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि लिंग के बावजूद सभी को समान अधिकार हैं। महिलाएं आर्थिक और सामाजिक रूप से बैकफुट पर रही हैं, लेकिन अच्छी बात यह है कि अब महिलाएं अपनी वास्तविक क्षमता को पहचान रही हैं और पुरुषों से आगे निकल रही हैं।
प्राचार्य डॉ. संजीव नवल ने कहा कि हम सभी को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए, लेकिन साथ ही हमें उन कानूनी मार्गदर्शन व सेवाओं के बारे में पता होना चाहिए जो हमारे लिए आसानी से उपलब्ध हैं। उन्होंने डॉ. बीआर अम्बेडकर का जिक्र करते हुए उन्हें भारत के संविधान के निर्माण का श्रेय दिया, जो सभी के हितों की रक्षा करता है। उन्होंने विद्यार्थियों व शिक्षकों को जागरूक करने के लिए मुख्य वक्ता डॉ. गगनदीप कौर का धन्यवाद किया।
उन्होंने संस्थान के एनएसएस विंग और आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) के प्रयासों की भी सराहना की और एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ अशोक कुमार, आईसीसी प्रभारी डॉ सुमन टंडन और कार्यक्रम समन्वयक डॉ शिवानी विज को ऐसे प्रोग्राम आगे भी जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया।