निवर्तमान कांग्रेसी पार्षद विक्की कालिया ने निगला जहर..अस्पताल में हुई मौत..

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सरकारी ग्रांट को गबन करने के मामले में विक्की कालिया व उसके बेटे पर किया गया था मामला दर्ज
टाकिंग पंजाब 

जालन्धर। सरकारी ग्रांट को गबन करने के मामले में विक्की कालिया व उसके बेटे पर मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में विक्की कालिया को तो हाई कोर्ट से जमानत मिल गई थी लेकिन विक्की के बेटे की जमानत सुप्रीम कोर्ट से भी खारिज हो गई थी। सूत्रों की अनुसार इससे परेशान होकर व दुख में वार्ड नं 64 से निवर्तमान कांग्रेसी पार्षद रहे सुशील कुमार उर्फ़ विक्की कालिया ने आज जहरीली वस्तु निगल करो अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।   हालांकि जहर निगलने की बाद उन्हें तुरंत मकसूदां चौक स्थित निजी अस्पताल में दाखिल करवाया गया। हालात नाजुक देख डॉक्टर ने उन्हें वेंटिलेटर पर भी रखा, लेकिन आखिर में डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। विक्की कालिया की मौत की बाद उनके परिवार व उनके परिजनों पर दुखो का पहाड़ टूट पड़ा है। किसी को विश्वास ही नहीं हो रहा कि विक्की कालिया ऐसे जहर खाकर आत्महत्या कर सकते है। फिलहाल पुलिस मामले की जाँच कर रही है।दरअसल जालंधर में विधायक बावा हेनरी के खासमखास कहे जाने वाले वार्ड नंबर 64 से निवर्तमान कांग्रेस पार्षद सुशील कालिया व उनके बेटे अंशुमन और रिश्तेदारों के खिलाफ पिछले साल पुलिस ने भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया था। सुशील कालिया और उनके परिजनों पर विधायक निधि के दुरुपयोग का आरोप लगा था। सुशील कालिया ने तो केस में पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय से जमानत ले ली थी, लेकिन उनके बेटे को हाईकोर्ट से जामनत नहीं मिली थी। इसके बाद जमानत का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था, लेकिन वहां पर भी कोई राहत नहीं मिली थी।

क्या था मामला…

  विधायक बावा हेनरी ने अपनी विधायक निधि से उत्तरी हलके में छह वेलफेयर सोसायटियों को 10-10 लाख की ग्रांट जारी की थी, लेकिन जो ग्रांट जारी हुई थी वह बैंक खाते से तो निकल गई लेकिन आगे प्रयोग नहीं हुई। इस सारे मामले की शिकायत नार्थ हलके से ही भाजपा के पूर्व विधायक कृष्ण देव भंडारी ने डीसी को की थी।  पंजाब में आप की सरकार आते ही सरकार ने इसकी एडीसी से जांच करवाई जिसमें उन्होंने निवर्तमान पार्षद सुशील कालिया उनके बेटे अंशुमन समेत 20 लोगों को दोषी पाया। जांच रिपोर्ट आने के बाद फिर से इस मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई जिसने सभी बीस लोगों के खिलाफ हेराफेरी की धारा 420 भी जोड़ दी। जांच रिपोर्ट के आधार पर ही पुलिस ने सभी को नामजद किया था।

 

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