पहले पंजाब में पहुंचता था 5 से 6 दिन में कोयला.. अब पहुंचने में लगेंगे 20 से 25 दिन.. लागत भी हो जाऐगी 4950 से बढ़कर 6750 रूपए
टाकिंग पंजाब
नईं दिल्ली। बिजली बनाने के लिए थर्मल प्लांट में इस्तेमाल होने वाला कोयला भी अब पंजाब आने से पहले गुजरात में अडानी ग्रुप के मुंद्रा पोर्ट का भम्रण करके पंजाब आऐगा। केंद्र की मोदी सरकार पर पहले ही अडानी ग्रुप को फायदा पहुंचाने के इल्जाम लग रहे हैं, लेकिन इसकी परवाह किए बिना केंद्र ने यह एक ओर फरमान जारी कर दिया है। इस नए फरमान के अनुसार पंजाब को मिलने वाला झारखंड की पचवारा माइन का कोयला अब 4 हजार किलोमीटर से अधिक का सफर करके पंजाब पहुंचेगा। पहले देश से विदेश फिर विदेश से देश में आएगा कोयला
रूट की बात करे तो पंजाब के थर्मल प्लांट में आने वाला कोयला झारखंड की कोल माइन से पहले श्रीलंका जाएगा व उसके बाद वहां से गुजरात में अडानी ग्रुप के मुंद्रा पोर्ट पर पहुंचेगा। मुंद्रा पोर्ट से इस कोयले को रेल के जरिए पंजाब लाया जाएगा। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के जॉइंट सचिव की ओर से इस संबंध में पंजाब सरकार को लैटर भी भेजा गया है। केंद्र सरकार के इस नए रूट प्लान के चलते जो कोयला पहले पंजाब में 5 से 6 दिन में पहुंच जाता था, उसे पहुंचने में अब 20 से 25 दिन लगेंगे। इतना ही नहीं, इस नए रूट की वजह से पंजाब सरकार को प्रतिटन कोयले के लिए लगभग 1800 रुपए अतिरिक्त चुकाने पड़ेंगे। 4950 से बढ़कर 6750 रुपए प्रतिटन हो जाएगी कोयले की कीमत
दरअसल इस समय पंजाब सरकार को एमसीएल से रेल के जरिए कोयला मंगवाने पर प्रतिटन 4950 रुपए देने पड़ते हैं। इस रूट से कोयला रेलवे के जरिये 1800 किलोमीटर का सफर तय कर 5 से 6 दिन में पंजाब पहुंच जाता है। केंद्र सरकार के नए आरएसआर रूट के हिसाब से यह सफर बढ़कर 5800 किलोमीटर हो जाएगा व 5-6 दिन में पहुंचने वाला कोयला अब 20 से 25 दिनों में पंजाब पहुंच पाऐगा। इसके अलावा इसकी कीमत भी 4950 से बढ़कर 6750 रुपए प्रतिटन हो जाएगी।
विपक्ष ने लगाया केंद्र सरकार पर अडानी ग्रुप को फायदा पहुंचाने का आरोप
उधर दूसरी तरफ व कांग्रेसी नेताओं ने इस नई योजना खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस के लोकसभा सांसद मनीष तिवारी का कहना है कि केंद्र की इस नई योजना से पंजाब के हर उपभोक्ता को बिजली के लिए प्रति यूनिट 1 रुपए 40 पैसे अधिक देना पड़ेगा। केंद्र सरकार यह सब अडानी ग्रुप को फायदा पहुंचाने के लिए कर रही है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने लैटर लिखकर पंजाब सरकार को निर्देश दिया है कि यदि वह पूर्वी भारत से अपने राज्य के थर्मल प्लांट के लिए कोयला लाना चाहती है तो उसे पहले झारखंड से समुद्र के रास्ते श्रीलंका के पास एक बंदरगाह तक ले जाए और वहां से उसे गुजरात के मुंद्रा पोर्ट तक लाए। मुंद्रा पोर्ट से यह कोयला रेल के जरिये पंजाब लाया जाए। केंद्र सरकार की इस नई योजना से पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार भी सहमत नजर नहीं आ रही है पंजाब के बिजली मंत्री हरभजन सिंह का कहना है कि एमसीएल से पंजाब को पहले से कोयला आ रहा है व इसमें कहीं कोई दिक्कत नहीं है। पंजाब के बिजली मंत्री हरभजन सिंह का कहना है कि केंद्र सरकार की नई व्यवस्था के जरिए पंजाब के साथ धक्का कर रही है। इस योजना के जरिये कोयला मंगवाने पर सफर व लागत दोनों बढ़ जाएगी। राज्य सरकार इस मुद्दे पर केंद्र से बात करके, इस योजना को वापस लेने की मांग करेगी