बाबा बकाला के पास पड़ते गांव जल्लूपुर खेड़ा के गुरुघर में संपंन हुआ आनंद कारज..
टाकिंग पंजाब
अमृतसर। वारिस पंजाब दे प्रमुख भाई अमृतपाल सिंह के विवाह को लेकर कहा जा रहा था कि उनका आनंद कारज जालंधर के फतेहपुर दोनां स्थित छठी पातशाही श्री हरगोबिंद साहिब जी की चरण स्पर्श धरती के ऐतिहासिक गुरुघर में होगा, लेकिन ऐन वक्त पर विवाह की जगह बदल कर बाबा बकाला कर दी गई। भाई अमृतपाल सिंह व इंग्लैंड की रहने वाली एनआरआई किरणदीप कौर का आनंद कारज बाबा बकाला के पास पड़ते गांव जल्लूपुर खेड़ा के गुरुघर में संपंन हुआ। किसी को इस विवाह की भनक तक नहीं लगी। भाई अमृतपाल सिंह के शादी कार्यक्रम को पूरी तरह से सीक्रेट रखा जा रहा है। गुरुघर की मैनेजमेंट से लेकर भाई अमृतपाल के परिवार व नजदीकियों तक कोई भी कुछ नहीं बता रहा है। गुरुघर में भी शादी की बुकिंग उनके नाम से नहीं है, बल्कि किसी और के नाम से करवाई गई है। इंग्लैंड से आई किरणदीप व उनका परिवार गांव कुलारां से सुबह 4 बजे गाड़ियों से गुरुघर फतेहपुर दोनां की तरफ निकलने की बजाय बाबा बकाला की तरफ निकल गया। आनंद कारज बहुत ही साधारण तरीके से किया गया। पहले यह आनंद कारज जालंधर मे होना तय हुआ था, जिसके चलते जालंधर में लोग व मीडिया वारिस पंजाब दे प्रमुख भाई अमृतपाल सिंह का इंतजार करते रहे लेकिन उन्होंने बाबा बकाला के पास पड़ते गांव जल्लूपुर खेड़ा के गुरुघर में लावां फेरे लिए। जिस गुरूघर में आनंद कारज संपंन किया गया, उस गुरुघर में कोई विशेष टेंट या फिर अन्य सजावट के प्रबंध नहीं किए गए थे। विवाह बहुत ही साधे ढंग से किया गया जिसमें कुछ चुनिदा लोग ही शामिल हुए। विवाह के बाद कुछ समय के लिए पत्रकारों के रूबरू हुए भाई अमृतपाल सिंह ने बताया कि विवाह समागम में 50 से 60 लोग शामिल हुए। उन्होंने कहा कि जनम-मरन व विवाह, तीन मुख्य रस्में हैं। इंसान को यह तीनें रस्मे पूरी सादगी से निभानी चाहिए। न किसी पर भोझ बने व न ही अपने आप पर बोझ डालें। विवाह की जगह बदलने को लेकर पूछे सवाल पर उन्होंने कहा कि विवाह समागम को साधे ढंग से करने के मकसद से जगह में बदलाव किया गया। ऐसे समागम जितनी सादगी से किए जाएं, उतना ही अच्छा है। जब उनसे विवाह के बाद विदेश चले जाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैंने कहां जाना विदेश.. मैं ते मेरी सिंघनी यहीं पर रहेंगे।