नई दिल्ली। शिवसेना बनाम शिवसेना केस में सवाल है कि असली शिवसेना किसकी है ? उद्धव ठाकरे सही हैं या एकनाथ शिंदे ? सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ ने इस मामले में 9 दिन तक चली सुनवाई के बाद आज फैसला सुरक्षित रख लिया। इस दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस मुकेश आर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली व जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने उद्धव ठाकरे गुट, एकनाथ शिंदे गुट व राज्यपाल की ओर से दलीलें सुनी।
शिवसेना बनाम शिवसेना मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से भी सवाल पूछे। सीजेआई ने कहा कि आप उद्धव ठाकरे सरकार को बहाल करने की मांग कैसे कर सकते हैं ? आपने इस्तीफा दे दिया था। जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि अदालत उस सरकार को कैसे बहाल कर सकती है जिसने विश्वास मत का सामना ही नहीं किया ? सीजेआई ने कहा कि यदि आप विश्वास मत खो चुके हैं तो यह एक तार्किक बात होगी। ऐसा नहीं है कि आपको सरकार ने बेदखल कर दिया है, आपने विश्वास मत का सामना ही नहीं किया ? सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे की शिंदे गुट द्वारा विलय की दलीलों पर सवाल उठाया। सीजेआई ने कहा, शिवसेना के बागी विधायकों को बीजेपी में विलय की क्या जरूरत थी। विलय होने के बाद उनकी पहचान नहीं रहती। वो तो अभी भी शिवसैनिक की राजनीतिक पहचान के साथ हैं. सिंघवी ने कहा, क्योंकि राज्यपाल ने गैरकानूनी तरीके से फ्लोर टेस्ट बुलाया था, आज भी गैरकानूनी सरकार चल रही है व यहां कोई चुनाव नहीं हुआ। ठाकरे की ओर से सिंघवी ने कहा कि वैसे तो हर पार्टी में असंतुष्ट हैं, लेकिन उनसे निपटने के और भी समुचित उपाय हैं। लेकिन ये कैसे हो सकता है कि आप असंतुष्ट होकर सरकार को ही अस्थिर कर उसे गिरा दें ? इसलिए व्हिप का उल्लंघन करने के बजाय आप सदस्यता छोड़ दें।