अमृतपाल सिंह के कौन सी अमावस्या लगनी हट जाएगी.. के ब्यान पर आया रणजीत सिंह ढडरियांवाला का रिऐक्शन

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बोले, उनसे पूछ कर देखो, जिनका बेटा घर नहीं आया.. अमृतपाल की मां का हाल देख लो, उसकी मां बार-बार कह रही है, उनका बेटा मिल नहीं रहा.. उसकी मां को पूछो अमावस्या लग रही है क्या ? 

भारत में नाखून-मास की तरह रहते हैं हिंदू-सिख, अमृतपाल के कारण इनमे हो रही खटास पैदा ..

टाकिंग पंजाब

अमृतसर। अमृतपाल सिंह कहता था कि अगर 4-5 मर भी गए तो कौन सी अमावस्या लगनी हट जाएगी। लेकिन अभी सिर्फ गिरफ्तारियां ही हुई हैं, पर उनसे पूछ कर देखो, जिनका बेटा घर नहीं आया। उनके घर अमावस्या नहीं लग रही। अमृतपाल के घर ही देख लो, उसकी मां का हाल देख लो, उसकी मां बार-बार कह रही है, उनका बेटा मिल नहीं रहा। उसकी मां को पूछो अमावस्या लग रही है क्या ?     इन बातों का प्रग्टावा रणजीत सिंह ढडरियांवाला ने अमृतपाल सिंह को लेकर किया है। इसके साथ ही रणजीत सिंह ढडरियांवाला ने लोगों को सोच-समझ कर कुछ भी बोलने की नसीहत दी है। उनका कहना है कि आज जो भी पंजाब में हो रहा है, उसका असर सीधे तौर पर विश्व के सिखों पर पड़ रहा है। एक वीडियो जारी कर अमृतपाल सिंह पर निशाना साधते हुए ढडरियां वाले ने कहा कि वह पहले भी बात कर चुके हैं, लेकिन अमृतपाल ने पंजाब के युवाओं को मुश्किल में डाल दिया है।    अब वह आप फरार है, लेकिन जिसे उसने अपने पीछे लगाया, वह जेलों में पहुंच चुके हैं। हम बंदी सिखों को छुड़ाने की बातें कर रहे थे, आज बंदी सिखों की गिनती जेलों में बढ़ गई है। ढडरियांवाला ने कहा कि इंग्लैंड में प्रदर्शन हुआ व जिस सिख ने तिरंगा उतारा, वह आरास से है, लेकिन भारत में हिंदू-सिख, जो नाखून-मास की तरह रहते हैं, में खटास पैदा हो गई है। तिरंगे से प्यार करने वाले हिंदुओं में गुस्सा है और वे गुस्सा एक सिख पर ही निकालेंगे, क्योंकि तिरंगे का अपमान करने वाला एक पगड़ी वाला था।     उनका कहना था कि सोचना होगा कि पंजाब में सिख बहुगिनती हैं, तो देश में सिख कम गिनती हैं। जब कुछ भी कनाडा अमेरिका में होता है, उसका असर पूरे देश के सिखों पर होगा। उन्होंने कहा कि आज के दौर में कोई सही बात करे तो उसे पंथ का वैरी कहा जाता है ओर वहीं अगर कोई आग लगाने वाली बात करे तो वह पंथ का हितैषी है। लोग छोटी-छोटी बातों को सोच कर रिएक्शन देते हैं। सोशल मीडिया पर खुल कर गालियां और धमकियां दी जाती हैं, जिसके चलते जो पंजाब के हित में बात करने वाले वे भी अब बोलने को तैयार नहीं हैं।

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