Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the news-portal domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in C:\inetpub\vhosts\cavarunsharma.in\talkingpunjab.in\wp-includes\functions.php on line 6131 मात्र कुछ प्रतिशत वोटों के खेल से कांग्रेस हो गई फेल.. भाजपा को 39.94 व कांग्रेस को मिले 39.09 प्रतिशत वोट – My CMS
हरियाणा चुनाव में 55 लाख 48 हजार 800 से ज्यादा लोगों ने भाजपा व 54 लाख 30 हजार 600 से ज्यादा लोगों ने कांग्रेस को दिया वोट
टाकिंग पंजाब
हरियाणा। पिछले 10 सालों की एंटी इनकम्बेंसी, पहलवानों का सरकार के खिलाफ प्रर्दशन, बेरोजगारी व अन्य कईं मुद्दे थे, जिन्हें माना जा रहा था कि यह मुद्दे हरियाणा चुनाव में भाजपा पर भारी पड़ने वाले हैं। लेकिन राजनीति में कहा जाता है कि जनता की यादाश्त कमजोर होती है। नेता अपने पुराने वादों को फिर नया करके जनता को परोस देते हैं व जनता नए वादों में उलझकर पिछली बातों को भूल जाती है। हरियाणा में भी कुछ ऐसा ही हुआ। एक तरफ जहां कांग्रेस गठबंधन ने हरियाण की जनता से वादे किए तो भाजपा ने एक कदम आगे बढाते हुए उससे भी बढे वादे कर दिए। भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में अलग-अलग वर्गों के लिए 20 वादे किए। पार्टी ने 18 से 60 साल की 78 लाख महिलाओं को हर महीने आर्थिक मदद, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब लोगों को आवास, हर घर गृहिणी योजना के तहत उज्जवला स्कीम में 500 रुपए में सिलेंडर, 2 लाख पक्की सरकारी नौकरियों के साथ बुढ़ापा-दिव्यांग व विधवा पेंशन में वृद्धि आदि कईं बातें कही। इससे हरियाणा की जनता आकृषित हुई व एंटी इनकम्बेंसी के बावजूद भाजपा का यह पत्ता काम कर गया व भाजपा हरियाणा में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। इस बार चुनाव में राज्य के 55 लाख 48 हजार 800 से ज्यादा लोगों ने भाजपा को अपना वोट दिया। हालांकि दूसरी ओर कांग्रेस के पक्ष में भी 54 लाख 30 हजार 600 से ज्यादा लोगों ने मतदान किया। भाजपा को कुल मतदाताओं में से 39.94 प्रतिशत व कांग्रेस को 39.09 प्रतिशत ने वोट दिए। दोनों पार्टियों को मिले कुल वोटों में 1 लाख 18 हजार मतों का अंतर है लेकिन सीटों के लिहाज से देखें तो भाजपा को 12 सीटें ज्यादा मिलीं। भाजपा ने 10 मंत्री और एक विधानसभा अध्यक्ष समेत 27 विधायकों को टिकट दी थी। इनमें से 10 हार गए। हारने वाले मंत्रियों में डॉ. कमल गुप्ता, कंवरपाल गुर्जर, जेपी दलाल, रणजीत चौटाला, संजय सिंह, सुभाष सुधा, असीम गोयल और अभय यादव शामिल हैं। विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता भी हार गए। इसके अलावा 2 विधायक भी हार गए। कांग्रेस ने 28 विधायकों को टिकट दिया, जिनमें से 15 हार गए और 13 जीत गए। चुनाव जीतने वाले उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा 23 जाट चेहरे हैं। दूसरे नंबर पर 17 ओबीसी व 17 एससी ने चुनाव जीता है। इसके अलावा 12 पंजाबी, 8 ब्राह्मण, 6 अहीर, 6 गुर्जर, 5 मुस्लिम, 4 बीसी, 3 वैश्य, 2-2 राजपूत और रोड़ और एक सीट पर जट सिख उम्मीदवार को जीत मिली है। राजनीतिक परिवारों के 33 नेताओं को टिकट दी गई थी। भाजपा ने 11 और कांग्रेस ने 22 ऐसे चेहरों को टिकट दी थी, लेकिन इनमें से भी 15 हार गए। जीतने वाले 18 चेहरों में कांग्रेस के 10 व भाजपा के 8 नेता शामिल हैं। सबसे चौंकाने वाली हार पूर्व सीएम भजनलाल के पोते भव्य बिश्नोई की रही। उनका परिवार 57 साल बाद हिसार की आदमपुर सीट से चुनाव हार गया। केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत की बेटी आरती राव पॉलिटिकल डेब्यू में ही अटेली से जीत गई। हरियाणा चुनावों में 90 में से 39 उम्मीदवार पहली बार विधायक बने हैं। इनमें भाजपा के 22, कांग्रेस के 13, इनेलो के 2 और 2 निर्दलीय हैं। वहीं, 29 सिटिंग विधायक फिर से जीते हैं। 22 नेता गैप के बाद दोबारा विधायक बने। पंजाब से लगती 10 सीटों में 8 कांग्रेस व भाजपा, इनेलो ने 1-1 जीती। अंबाला सिटी, गुहला, नारायणगढ़, टोहाना, सिरसा, कालांवाली, रतिया, पंचकूला कांग्रेस, डबवाली इनेलो व नरवाना भाजपा जीती। कुल मिलाकर भाजपा ने तीसरी बार जीत हासिल करके रिकार्ड कायम कर दिया है, जिससे कांग्रेस का चिंतित होना लाजमी है।