Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the news-portal domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in C:\inetpub\vhosts\cavarunsharma.in\talkingpunjab.in\wp-includes\functions.php on line 6121 दिल्ली विधानसभा चुनावों में मजबूत होने के बावजूद सत्ता से दूर रह सकती है भाजपा – My CMS
पॉलिटिकल एक्सपर्ट के अनुसार इस बार भी दिल्ली में बाजी मार ले जाऐगी आप .. घट सकती है आप की सीटें
टाकिंग पंजाब
नईं दिल्ली। साल 2015 व 2020 में जिस तरह से आप ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रर्दशन किया था, वैसा प्रर्दशन इस बार कर पाना मुश्किल लग रहा है। हालांकि आप के समर्थकों के लिए राहत की खबर यह है कि एंटी इनकम्बेंसी के बावजूद आप दिल्ली में सरकार बनाने में कामयाब हो जाऐगी। दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर एक फेज में 5 फरवरी को वोट डाले जाएंगे। दरअसल दिल्ली सरकार के खिलाफ इस बार एंटी इनकम्बेंसी देखने को मिल रही है। यहां तक कि आम आदमी पार्टी के अंदर भी नाराजगी है। पार्टी को इसका नुकसान हो सकता है ओर यह बात पॉलिटिकल एक्सपर्ट भी ये बात मान रहे हैं। हालांकि इस सब के बीच बीजेपी पहले से मजबूत नजर आ रही है। दो साल पहले पार्टी ने स्ट्रैटजी बदली व सांप्रदायिक मुद्दों के बजाय संगठन-प्रकोष्ठ पर फोकस किया है व हर वर्ग तक अपनी पहुंच बनाई है। दिल्ली में आप की हालत की बात करें तो आप पिछले 10 साल से दिल्ली की सत्ता पर काबिज है, जिसके चलते इस बार एंटी इनकम्बेंसी का असर दिख रहा है। शीशमहल, करप्शन के आरोपों ने केजरीवाल की ईमानदार इमेज को भी नुकसान पहुंचाई है। इसके साथ ही चुनाव से ऐन पहले 8 विधायकों का पार्टी छोड़ना पार्टी के खिलाफ जा सकता है। दूसरी बड़ी बात यह है कि दिल्ली में आप और बीजेपी के बीच सीधी लड़ाई है। यह भी तय है कि आप को होने वाले नुकसान का सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा। उसका वोट शेयर 40 प्रतिशत से ज्यादा हो सकता है व सीटें भी बढ़ सकती हैं। अनुमान है कि इन विधानसभा की 70 सीटों में से आप 43 से 47 सीटें व बीजेपी 23 से 27 सीटें जीत सकती है। हालांकि आप प्रमुख केजरीवाल दिल्ली में 55 सीटें मिलने का दावा कर रहे हैं। इसके साथ ही आप सरकार का पंजाब में किए गए वादे पूरे न करना भी बीजेपी के लिए चुनावी मुद्दा बना है। बीजेपी ने ने जनता के बीच ये नैरेटिव बनाने की कोशिश की है कि दिल्ली सरकार कंगाल है। आप सरकार तो पंजाब में भी महिलाओं को 1000 रुपए सम्मान राशि नहीं दे सकी है। आप को इसके अलावा एक नुक्सान कांग्रेस का भी हो सकता है। कांग्रेस दिल्ली की लड़ाई में भले बहुत मजबूत नहीं है, लेकिन वो आम आदमी पार्टी का वोट ही काटेगी। कांग्रेस का सीटें जीतना तो मुश्किल है, लेकिन उसका वोट शेयर 6 से 7 प्रतिशत बढ़ सकता है। हालांकि कांग्रेस को 2020 में मात्र 4.3 प्रतिशत वोट ही मिले थे। दरअसल 2015 से दिल्ली की कमान आप संभाले हुए है, लेकिन 27 साल से सत्ता से बाहर रहने वाली बीजेपी किसी भी तरह से दिल्ली की सत्ता पर काबिज होना चाहती है। हालांकि बीजेपी 2015 में 3 और 2020 में 8 सीटें ही जीत पाई थी। कांग्रेस दोनों चुनावों में एक भी सीट नहीं जीत सकी। साल 2008 में कांग्रेस ने 43 सीटें जीती थीं। तब उसे 40.3 प्रतिशत वोट मिले थे, जो 2020 में घटकर 4.3 प्रतिशत रह गए। अब अगर इन चुनावों में मुस्लिम वोट की बात करें तो दिल्ली की कुल आबादी में मुस्लिमों की भागीदारी करीब 12.9 प्रतिशत है। इनका वोट नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के अलावा ईस्ट दिल्ली, चांदनी चौक और नई दिल्ली में आने वाली विधानसभा सीटों को प्रभावित करता है। दिल्ली में जाट व गुर्जर वोटर मिलाकर 17 से 20 प्रतिशत हैं। यह वोटर दिल्ली की 50 विधानसभा सीटों पर असर डालते हैं। इसके अलावा दिल्ली में 25 प्रतिशत पूर्वांचली वोटर्स का बुराड़ी, बादली, संगम विहार, पालम, करावल नगर और पटपड़गंज जैसी 25 सीटों पर सीधा असर है। दिल्ली में दलित वोटर्स कुल आबादी का लगभग 18 प्रतिशत हैं। हर पार्टी चुनाव जीतने के लिए इन्हें साधने में लगी है, लेकिन इन पर ज्यादातर आप का जादू है।