नवजोत सिंह सिद्धू की रिहाई को लेकर कांग्रेस के उच्च नेताओं व कार्यकर्त्ताओ में दिख रहा जोश

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रिहाई के एक दिन पहले सिद्दू से मिले कांग्रेस के कई सीनियर नेता.. रहेगी या बचेगी प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी 
टाकिंग पंजाब 

पटियाला। कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू आज पटियाला जेल से रिहा होने वाले हैं। शुक्रवार को उनके ट्विटर हैंडल से ये जानकारी साझा की गई थी। सिद्धू के ट्वीट के बाद से ही उनके समर्थक जोर शोर के साथ उनके स्वागत की तैयारियों में जुटे हुए हैं। सिद्धू को 1990 के एक रोड रेज के मामले में एक साल की सजा सुनाई गई थी, वो 20 मई 2022 से पटियाला जेल में बंद हैं।  अभी कुछ दिन पहले उनकी पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू की तरफ से भी बयान आया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि उनके पति नवजोत सिंह की 1 अप्रैल को रिहाई होने वाली है। उन्होंने बताया था कि जेल के नियमों के अनुसार, कैदियों को हर महीने 4 छुट्टी दी जाती हैं, लेकिन सजा के दौरान सिद्धू ने एक भी छुट्टी नहीं ली। इस वजह से उन्हें 18 मई के बजाय 48 दिन पहले 1 अप्रैल को  रिहा किया जाएगा। उधर दूसरी तरफ सिद्धू के समर्थकों की तरफ से उनके भव्य स्वागत की तैयारिया की गई है।    सूत्रों से खबर ये भी है कि रिहाई से एक दिन पहले कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा समेत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शमशेर सिंह दूलो, लाल सिंह, मोहिंदर केपी सिद्धू से मिलने पटियाला जेल पहुंचे थे, इस दौरान बाजवा की तरफ से कहा गया है कि सब कुछ अच्छा ही होगा। सिद्धू को समर्थन देने वाले ज्यादातर नेताओं का प्रदेश अध्यक्ष वडिंग से 36 का आंकड़ा है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि सिद्धू की रिहाई से पंजाब की राजनीति में नया मोड़ आने वाला है। कहा जय रहा है कि सिद्धू की रिहाई के बाद राजा वडिंग को अपनी प्रधान की कुर्सी जाने का डर सता रहा है।    ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि सिद्धू की रिहाई के साथ पंजाब की राजनीति में नया मोड़ आने वाला है। सिद्धू की रिहाई के बाद राजा वडिंग को अपनी प्रधान की कुर्सी जाने का डर सता रहा है। इसके चलते उन्होंने सिद्धू के खासमखास को उनके पद से हटा दिया है। सिद्धू के आने के बाद पंजाब की राजनीति किस ओर करवट लेगी ये देखने वाली बात होगी, क्योकि सिद्धू का टकराव अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से रहा है। पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह फिर चरणजीत चन्नी व अब वो नेता सिद्धू को समर्थन कर रहे है जो प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग के साथ नहीं चलते। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि पंजाब की राजनीति अब किस ओर करवट लेगी।

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