चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में हुए वीडियो कांड पर माननीय अदालत ने सुनाया अहम फैंसला

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माननीय कोर्ट ने कहा.. फौजी द्वारा किया गया कृत्य पूरे महिला समाज के खिलाफ है, ऐसे में नहीं दी जा सकती जमानत 

ऐसा कृत्य महिलाओं को समाज में उनसे जुड़े कई अधिकारों से वंचित कर सकता है, ऐसे में आरोपी छात्र भी जमानत की हकदार नहीं 

टाकिंग पंजाब

चंडीगढ़। पंजाब की चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी मे हुए वीडियो कांड में आरोपी छात्र व फौजी संजीव सिंह की जमानत अर्जी माननीय अदालत ने खारिज कर दी है। इससे पहले फौजी संजीव सिंह ने जमानत अर्जी दायर करते हुए खुद को मामले में पूरी तरह बेकसूर बताया था। उसने कहा था कि वह कानून को मानने वाला व्यक्ति है और फौज में नायक की पोस्ट पर तैनात है। इस मामले में खरड़ कोर्ट की ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट निधि सैणी ने संजीव सिंह की अर्जी पर कहा है कि एक फौजी द्वारा ऐसा कृत्य किया जाना अस्वीकार्य है।

   एक फौजी देश समेत पूरी दुनिया में समाज में बड़ा सम्मान पाता है। समाज उम्मीद करता है कि एक फौजी कभी कोई अपराध नहीं करेगा।इस मामले में फौजी द्वारा किया गया कृत्य पूरे महिला समाज के खिलाफ है। ऐसे में आरोपी जमानत का हकदार नहीं है। कोर्ट ने पाया कि आरोपी फौजी संजीव सिंह केस में मुख्य आरोपी है। वह ही आरोपी छात्र के जरिए चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की छात्राओं की आपत्तिजनक फोटो/वीडियो पाना चाहता था।

   जांच में यह भी सामने आया है कि उसने आरोपी छात्र की आपत्तिजनक फोटो उसके पिता व चाची को भी भेजी थी। पूरी पुलिस फाइल बताती है कि आरोपी छात्र व फौजी के बीच में चैट हुई थी। आरोपी फौजी उससे न्यूड फोटो भेजने को कहता था। इस मामले में आरोपी छात्र की जमानत अर्जी रद्द करते हुए कोर्ट ने कहा है कि आरोपी छात्र का मामले में अहम रोल है।

    उसका कृत्य न सिर्फ उसके और यूनिवर्सिटी कैंपस के छात्रों के खिलाफ है, बल्कि इसने समाज, विशेषकर महिलाओं को भी प्रभावित किया है। अभिभावक अवश्य ही अपनी बेटियों को हॉस्टल में भेजने से बचेंगे यदि वह सुरक्षित महसूस नहीं करेंगे। ऐसा कृत्य महिलाओं को समाज में उनसे जुड़े कई अधिकारों से वंचित कर सकता है। ऐसे में आरोपी छात्र जमानत की हकदार नहीं है।

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