मौजूदा समय में देश भर में 53 टाइगर रिजर्व व 3167 के लगभग हो चुकी है बाघों की संख्या
टाकिंग पंजाब
नई दिल्ली। देश में 1 अप्रैल को 1973 में जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ को लॉन्च किया था। उस बक्त देश में बाघों की संख्या 268 से भी कम थी, लेकिन आज इस प्रोजेक्ट को 50 साल हो गए हैं। मौजूदा समय में देश भर में 53 टाइगर रिजर्व हैं और बाघों की संख्या लगभग 3167 हो चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे होने के मौके पर देश में जंगली बाघों की संख्या के बारे में अध्यतन जानकारी दी। उन्होंने बताया कि देश में 2018 से 2022 के दौरान 200 बाघ बढ़ गए हैं व इस समय 3167 बाघ हो गए हैं।
देश में बाघों की मौजूदा आबादी दुनिया के जंगली बाघों की आबादी के 70 फीसदी से भी अधिक है, लेकिन आज भी इस पर खतरा मंडरा रहा है। बाघों के फलने-फूलने के लिए और ज्यादा व लगातार कोशिश करने की जरूरत है। बाघों को बचाना है तो जंगलों और जीव मंडलों को बचाना होगा। साल 2008 में पहली अपडेटेड गणना में जब बाघों की संख्या 1401 पाई गई, तब बाघों को बचाने के लिए एक चैनल ने ‘सेव ऑर टाइगर मिशन’ नामक एक व्यापक मीडिया अभियान चलाया था। अभिनेता अमिताभ बच्चन भी इस मुहिम का हिस्सा बनें व उनके साथ संरक्षण जगत के नामी चेहरे भी जुड़े।
इसके बाद बाघों को बचाने के लिए 1 अप्रैल को 1973 में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रोजेक्ट टाइगर को लॉन्च किया था। उस वक्त बाघों की संख्या घटकर 268 रह गई थी, जबकि सदी की शुरुआत में भारत में 40 हजार से भी ज्यादा बाघ थे। आंकड़ों की माने तो साल 1900 में देश में 40 हजार टाइगर थे, जबकि 1973 में यह कम होकर केवल 268 ही रह गए थे। जब प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई तो उसके बाद साल 2006 में इनकी संख्या 1411, साल 2010 में 1706, साल 2014 में 2226 थी। फिर एक समय ऐसा भी आया जब बाघों की संख्या एक बार फिर से कम होने लगी।
साल 2015 में इनकी संख्या 523 रह गई थी। इसके बाद साल 2018 में बाघों की संख्या जहां 2967 हो गई थी, वही 2020 में इनकी संख्या 674 रह गई थी। प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे होने के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने टाइगर से जुड़े नए आंकड़े जारी किए। इसके अलावा एक सिक्का भी जारी किया। प्रधानमंत्री ने इंटरनेशनल बिग कैट्स अलायंस की भी शुरुआत की। यह संगठन दुनिया भर में बिल्लियों की सात बड़ी प्रजातियों बाघ, शेर, हिम तेंदुआ, तेंदुआ, प्यूमा, जगुआर और चीता को संरक्षित करने पर फोकस करेगा।