पहली बार प्रधानमंत्री बनने पर नरेंद्र मोदी ने छुए थे प्रकाश सिंह बादल के पैर.. शोक की इस घड़ी में परिवार को सांत्वना देने पहुंचेंगे पीएम
टाकिंग पंजाब
चंडीगढ़। देश भर में राजनीति के लिए जाने जाते व पंजाब की राजनीति के पितामाह कहे जाने वाले प्रकाश सिंह बादल के 95 साल की उम्र में देहांत होने के बाद एक युग का अंत हो गया। प्रकाश सिंह बादल एक ऐसे नेता थे, जिन्हें राजनीति का बाबा बोहड़ कहा जाता था। राजनीति में उनका कद इस कदर था कि पहली बार प्रधानमंत्री बनने पर नरेंद्र मोदी ने प्रकाश सिंह बादल के पांव छूकर उनका आशीर्वाद लिया था। प्रकाश सिंह बादल जो कि 5 बार पंजाब के मुख्यमंत्री व एक बार केंद्र सरकार में कृषि मंत्री रह चुके हैं, को श्री अकाल तख्त की ओर से पंथ रत्न से सम्मानित किया जा चुका है।
प्रकाश सिंह बादल की राजनीति में आने के बारे में बात करें तो उन्होंने वर्ष 1947 में राजनीति में कदम रखा। सर्वप्रथम उन्होंने सरपंच का चुनाव लड़ा व जीत हासिल की। उस समय उनकी आयु मात्र 20 वर्ष थी। इसके बाद उन्होंने 1957 में लंबी से पहला विधानसभा चुनाव लड़ा व जीत हासिल की। इसके बाद वह दोबारा 1969 में भी चुनाव जीतने के बाद पंचायत राज, पशुपालन व सहकारिता मंत्री रहे। प्रकाश सिंह बादल पहले वर्ष 1970-71, 1977-80, 1997-2002 में पंजाब के मुख्यमंत्री रहे। वर्ष 2002 में शिअद-भाजपा गठबंधन चुनाव हारा लेकिन लेकिन 5 साल बाद गठबंधन बहुमत में आया तो वह दोबारा सीएम बनाए गए। प्रकाश सिंह बादल को पंजाब की सियासत का पितामह इसलिए कहा जाता है, क्योंकि वह 5 बार पंजाब के सीएण रहने के साथ 10 बार विधानसभा चुनाव भी जीते।
यह सिलसिला साल 1957 से साल 1969 तक लगातार चला। प्रकाश सिंह बादल ने साल 1970 में बतौर पंजाब के 15वें सीएम के रूप में शपथ ली थी। इसके बाद साल 1977 में दोबारा राज्य के 19वें सीएण बने। इसके 20 साल बाद भाजपा गठबंधन से बनी सरकार में उन्होंने दोबारा सत्ता संभाली। साल 1997 में भाजपा-अकाली दल गठबंधन की सरकार बनी। साल 1997 में प्रकाश सिंह बादल पंजाब के 28वें सीएम बने। साल 2007 में वह चौथी बार व साल 2012 में 5वीं बार पंजाब के सीएम बने। पंजाब में साल 2002 में कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुआई वाली कांग्रेस सरकार ने सत्ता संभाली। इस दौरान प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल को भ्रष्टाचार के आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया। पहली बार बड़े बादल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, लेकिन वह इससे बरी हो गए।
हालांकि प्रकाश सिंह बादल को बेअदबी कांड व बरगाड़ी गोलीकांड में शामिल होने के आरोपों का सामना भी करना पड़ा है। साल 2022 में पंजाब में आप की मान सरकार बनने के बाद पंजाब पुलिस ने प्रकाश सिंह बादल व उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ अदालत में चालान भी पेश किया। यह चालान बरगाड़ी बेअदबी कांड और इससे जुड़े बहबल कलां व कोटकपूरा गोलीकांड मामले में पेश किया गया। इस मामले में प्रकाश सिंह बादल अदालत से जमानत पर चल रहे थे। प्रकाश सिंह बादल को साल 2022 में पहली बार आप प्रत्याशी गुरमीत सिंह खुड्डियां से 11396 मतों से हार मिली, जबकि 2017 विधानसभा चुनाव में प्रकाश सिंह बादल ने अपने प्रतिद्वंदी कैप्टन अमरिंदर सिंह को 22770 वोट से हराया था। इस सीट से वह साल 1997 से लगातार पांच बार विधानसभा चुनाव जीते।
पंजाब में सबसे उम्रदराज होने पर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी भी प्रकाश सिंह बादल रहे। उन्होंने 94 वर्ष की आयु में साल 2022 में अपना अंतिम चुनाव लड़ा। अधिक आयु व स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को झेल रहे प्रकाश सिंह बादल ने पारिवार व पार्टी नेताओं के कहने पर चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार वह चुनाव नहीं जीत सके। प्रकाश सिंह बादल को 30 मार्च 2015 में देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण सम्मान मिला। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हाथों मिले इस सम्मान को बादल ने देश की बेहतरी में लगे लाखों कामगारों को समर्पित किया था। देश व पंजाब की राजनीति के स्तंभ कहे जाने वाले प्रकाश सिंह बादल इस संसार को अलविदा कह गए।