गांव के छप्पड़ पर आप सरपंच की तरफ से किए कब्जे के सवाल पर जनता दरबार बंद कर निकल गई विधायक
टाकिंग पंजाब
लुधियाना। आप सरकार की लुधियाना से विधायक सर्बजीत कौर माणूके का उस समय गांव के लोगों ने घेराव कर दिया, जब वह गांव भमीपुरा कलां में शिकायत निवारण दरबार लगा लोगों की समस्याएं सुन रही थी। पहले ही कस्बा जगराओं में एक कोठी पर कब्जे का आरोप झेल रही विधायक सर्बजीत कौर माणूके को अब एक सरपंच की तरफ से छप्पड़ की जमीन पर किए कब्जे के मामले में जवाबदेह होना पड़ा। दरअसल जब विधायक माणूके गांव भमीपुरा कलां में शिकायत निवारण दरबार लगा लोगों की शिकायतें सुन रही थी तो इस बीच गांव के लोगों ने उन्हें शिकायत दी व आरोप लगाया कि ढाई एकड़ के सरकारी छप्पड़ में आप सरपंच व अन्य लोगों द्वारा कब्जा किया हुआ है। लोगों ने विधायक से मांग की इस कब्जे को छुड़वाया जाए।
शिकायत करने वाले गांव निवासियों गुरदीप सिंह, अलवार सिंह आदि ने कहा कि विधायक माणूके ने उनकी शिकायत की 3 से 4 लाइनें पढ़ कर एकदम से जनता दरबार बंद कर दिया। विधायक माणूके तेजी से अपनी कार की तरफ बढी व कार में जाकर बैठ गई। लोगों ने विधायक की कार को घेर लिया व उनसे मांग करने लगे कि छप्पड़ पर हुए कब्जे को मुक्त करवाया जाए। विधायक माणूके ने लोगों से कहा कि वह मामले की जांच करवा देंगी, लेकिन इसके बाद भी लोगों ने विधायक के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। गांव भमीपुरा में नशे के खिलाफ मीटिंग करने पहुंची विधायक माणूके को लोगों के गुस्से के चलते वापस जाना पड़ा। हालांकि विधायक माणूके ने गांव की बेहतरी के लिए 7 लाख रुपए का चेक भी ग्रामीणों को सौंपा। गांव के लोगों का कहना है कि आप विधायक सरकारी कब्जों से गांव को मुक्त करवाने में असफल साबित हुई हैं।
उधर आप सरकार से जुड़ी एक अन्य खबर के अनुसार पंजाब के कैबिनेट मंत्री लाल चंद कटारू चक पर शारीरिक शोषण के आरोप लगाने वाले ने अपनी शिकायत वापस ले ली है। खबर है कि उसने कार्रवाई करवाने से मना कर दिया है। हालांकि अधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे है।लेकिन पुलिस का कहना है कि उन्होंने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को अपनी रिपोर्ट भेज दी है। आपको बता दें कि जालंधर लोक सभा उप चुनाव से ठीक पहले यह मामला सामने आया था व यह मामला आयोग तक पहुंचा था। आयोग ने पंजाब सरकार से जवाब तलब किया था, जिसके बाद पंजाब सरकार ने इस मामले में स्पेशल एसआईटी भी गठित की थी। अब इस मामले में शिकायतकर्ता के शिकायत वापस लेने से कैबिनेट मंत्री लाल चंद कटारू चक को राहत मिल सकती है। हालांकि इस शिकायत के वापस होने पर कईं तरह के सवाल उठ रहे हैं।