तकरीबन पौने 5 साल उन्होंने इस तख्त की सेवा की है और गुरुओं ने अब उन्हें यह मौका दिया है- ज्ञानी हरप्रीत सिंह
टाकिंग पंजाब
अमृतसर। श्री अकाल तख्त साहिब के नए जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने आज अपना पदभार संभाल लिया है। ज्ञानी रघबीर सिंह पाठ के भोग के बाद श्री अकाल तख्त साहिब पर पहुंचे थे जहां उन्हें पगड़ी पहनाने की रस्म निभाई गई। पाठ के भोग के बाद ज्ञानी अमर सिंह को श्री अकाल तख्त साहिब पर बुलाया गया व उन्होंने ज्ञानी रघबीर सिंह को श्री अकाल तख्त साहिब का जत्थेदार घोषित किया। इस दौरान श्री अकाल तख्त साहिब पर बड़ी गिनती में श्रद्धालु, बुद्धिजीवी व सिख संगठनों के पदाधिकारी पहुंचे थे। बता दें कि 4 साल 244 दिनों के बाद एक स्थायी जत्थेदार ने पदभार संभाला है। अभी तक इस पद पर अतिरिक्त कार्यभार के साथ ज्ञानी हरप्रीत सिंह ही कार्यभार संभाल रहे थे। उधर, ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने श्री अकाल तख्त साहिब का पद छोड़ने के बाद मीडिया के सामने आकर कहा कि वह खुश हैं, वह तो ऑस्ट्रेलिया जाने से पहले दोनों तख्तों का पदभार छोड़ने की बात कह कर गए थे।शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने उनसे यह पद नहीं छीना है। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया जाने से पहले चीफ सेक्रेटरी से पद छोड़ने की बात कही थी। वह दमदमा साहिब का तख्त छोड़ने के लिए भी तैयार थे और दोनों तख्तों पर योग्य गुरूसिख को बैठाने की बात कही थी। उन्होंने आगे कहा कि वे अब भी तख्त श्री दमदमा साहिब का पदभार छोड़ने को तैयार हैं। ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने इस दौरान ज्ञानी रघबीर सिंह को कार्यभार संभालने व श्री अकाल तख्त साहिब का जत्थेदार बनाए जाने पर शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि तकरीबन पौने 5 साल उन्होंने इस तख्त की सेवा की है और गुरुओं ने अब उन्हें यह मौका दिया है। वहीं, ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने अकाली दल के सीनियर नेता विरसा सिंह वल्टोहा के बयान की निंदा करते हुए कहा कि उन्हें वल्टोहा के बयान की जानकारी मिली थी। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा था कि श्री अकाल तख्त साहिब का जत्थेदार बनने के लिए कथावाचक, ग्रंथी या विद्वान होना जरूरी नहीं है। जत्थेदार को सिर्फ दिलेर होना चाहिए। उन्होंने एसजीपीसी से मांग की कि विरसा सिंह वल्टोहा को ही श्री अकाल तख्त साहिब का जत्थेदार बना दें क्योंकि वह बहुत दिलेर हैं। इतना ही नहीं, राघव चड्ढा की इंगेजमेंट में जाने की बात को लेकर ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि राघव चड्ढा व परिणीति चोपड़ा की सगाई में जाना कोई बड़ी बात नहीं थी। राघव चड्ढा की इंगेजमेंट में जाने से कोई दूरियां नहीं बढ़ी हैं। साथ ही ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने सरकारों का गुरुद्वारा एक्ट में दखल देने को गलत बताते हुए कहा कि गुरुद्वारा एक्ट 1925 में सरकारों का दख्त देना ठीक है या नहीं, यह कानून के विद्वान ही बता सकते हैं, लेकिन जितना उन्हें पता है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू व एसजीपीसी मास्टर तारा सिंह के बीच एक समझौता हुआ था, जिसमें साफ कहा गया था कि एसजीपीसी की अप्रूवल के बिना इस एक्ट में संशोधन नहीं किया जा सकता।