लोकसभा चुनाव में भाजपा को शिकस्त देने के लिए हुई विपक्षी एकता की बैठक में फंसा पेंच 

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आप ने रखी शर्त.. कहा, पहले दिल्ली सरकार को लेकर केंद्र सरकार के अध्यादेश पर अपना रुख साफ करे कांग्रेस
टाकिंग पंजाब
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को शिकस्त देने के मंत्व से बुलाई गईं विपक्षी एकता की बैठक में उस समय पेंच फंस गया जब आम आदमी पार्टी ने यह शर्त रख दी कि कांग्रेस पहले दिल्ली सरकार को लेकर केंद्र सरकार के अध्यादेश पर अपना रुख साफ करे, नहीं तो उनके साथ किसी भी बैठक में शामिल नहीं होंगे। बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने पटना में विपक्षी पार्टियों की पहली बैठक बुलाई थी।
    इस बैठक में 15 पार्टियों के नेता एक मंच पर आए व इन नेताओं ने बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने की बात भी कही, लेकिन मीटिंग में एकता के साथ-साथ दरार भी दिखी। बड़ी बात यह रही कि अरविंद केजरीवाल ज्वॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हुए। उनकी आम आदमी पार्टी ने कहा कि कांग्रेस पहले दिल्ली सरकार को लेकर केंद्र सरकार के अध्यादेश पर अपना रुख साफ करे, नहीं तो उनके साथ किसी भी बैठक में शामिल नहीं होंगे। फिलहाल मीटिंग शुरू हुई तो मीटिंग में सबसे पहले बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने दिल्ली को लेकर केंद्र सरकार के अध्यादेश का मुद्दा उठाया।
   उन्होंने कहा कि कांग्रेस को इस पर फैसला लेना चाहिए, क्योंकि बाकी सभी पार्टियों ने राज्यसभा में इस अध्यादेश का विरोध करने को लेकर केजरीवाल को समर्थन दिया है। केजरीवाल आज की बैठक में ही इस अध्यादेश को लेकर कांग्रेस का रुख जानना चाहते थे। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने मीटिंग में कहा कि बीजेपी के किसी भी कदम का समर्थन करने का कोई सवाल ही नहीं है,  लेकिन कांग्रेस पार्टी में निर्णय लेने की एक प्रक्रिया और तरीका है। अगले संसद सत्र से पहले इसमें 10 दिन लगेंगे, लेकिन केजरीवाल इस बात पर अड़े हुए थे कि आज की मीटिंग में ही चीजें तय हो जाए।
   हालांकि केजरीवाल के इस जिद पर कई नेताओं ने आपत्ति जाहिर की। नेशनल कॉन्फ्रेंस के चीफ उमर अब्दुल्ला ने तो यह तक कह दिया, “हम यहां आपके मुद्दे पर चर्चा करने नहीं आए हैं, बल्कि बीजेपी को कैसे रोका जाए, इस मुद्दे पर चर्चा करने आए हैं। बैठक में जो जानकारियां निकलकर आई थीं, उनके अनुसार नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने धारा 370 हटाने पर आम आदमी पार्टी के रुख पर आश्चर्य जताया है। वहीं सभी दलों ने केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल का समर्थन करने के लिए कांग्रेस से कहा है। इस पर कांग्रेस नेताओं ने आप प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ का बयान भी दिखाया। इस पर आप ने स्पष्ट किया कि वह पार्टी में नई हैं और उनकी सहमति से यह बयान नहीं दिया गया।

सिर पर बंदूक रखकर बात नहीं हो सकती – खरगे
सूत्रों के मुताबिक बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कांग्रेस के खिलाफ आप के कई भड़काऊ बयानों का जिक्र किया। खरगे ने इस बैठक से पहले केजरीवाल के बयान का भी जिक्र किया। केसी वेणुगोपाल ने भी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि कोई कांग्रेस के सिर पर बंदूक रखकर बातचीत की मांग नहीं कर सकता। इस दौरान राहुल गांधी ने कहा कि हम गठबंधन को लेकर बहुत लचीले हैं। ममता बनर्जी ने भी बंगाल की स्थिति का हवाला देते हुए विस्तार से बात की, लेकिन कहा कि बीजेपी को हराने के लिए हम सब एक साथ हैं।
   मीटिंग में हालांकि, पीएम पद के उम्मीदवार को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई, साथ ही गठबंधन का नाम क्या होगा, इस पर भी कुछ तय नहीं हुआ। अब शिमला में अगली बैठक होगी।दरअसल आप ने गुरुवार को कहा था कि अगर कांग्रेस ने दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण से संबंधित केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ उसे समर्थन देने का वादा नहीं किया तो ‘आप’ शुक्रवार को पटना में होने वाली बैठक से बाहर हो जाएगी। सूत्रों के मुताबिक खरगे ने बैठक में कहा कि आप के इस बयान ने विपक्ष की बैठक के लिए बने माहौल को खराब किया है।
  कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि आप नियमित रूप से विपक्षी दलों की बैठकों में भाग लेती है, जहां आम और सहमत रणनीतियों पर काम किया जाता है। अध्यादेश के लिए किसी अलग तंत्र की जरूरत नहीं है। इसे बीजेपी सरकार के खिलाफ लड़ने के लिए गठबंधन की पूर्व शर्त के रूप में रखा गया है। उधर कहा जा रहा है कि विपक्षी पार्टियों की अगली बैठक शिमला में 10 से 12 जुलाई के बीच हो सकती है। सीएम आवास में जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि अगली बैठक जल्द की जाएगी। इसी बैठक में अंतिम रूप दिया जाएगा कि कौन कहां से, कैसे लड़ेगा।

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