नीतीश कुमार के पलटी मारने के बाद फूँक फूँक कर कदम रख रहा है गठबंधन इंडिया.. 

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जल्द ही सुलझ सकता है सपा व कांग्रेस के बीच सीट बटवारे को लेकर चल रहा विवाद.. 14-15 लोकसभा सीटों पर बन सकती है गठबंधन की बात

टाकिंग पंजाब 

लखनऊ। इंडिया गठबंधन को झटका देने के बाद नीतीश कुमार ने तो एनडीए का दामन थाम लिया लेकिन सूत्रों की माने तो नीतीश कुमार का एनडीए में जाना एनडीए के लिए फायदेमंद नहीं बल्कि नुकसानदेय हो सकता है। खैर नीतीश कुमार के पलटी मारने के बाद अब इंडिया गठबंधन फूँक फूँक कर कदम रख रहा है। इसके चलते अब समाजवादी पार्टी की कांग्रेस के बीच सीटों को लेकर चल रही कश्मकश खत्म हो सकती है व इनमें प्रदेश में 14-15 लोकसभा सीटों पर गठबंधन की बात बन सकती है। बिहार व बंगाल में विपक्षी गठबंधन इंडिया को लगे झटके के बीच सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कांग्रेस के साथ 11 सीटों पर गठबंधन की एकतरफा घोषणा शनिवार को ही कर चुके हैं।       वर्तमान राजनीतिक घटनाक्रम से कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व भी दबाव में है, साथ ही पिछले कई चुनाव में उसका प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा है। ऐसे में सपा की ओर से उसे तीन-चार सीटें ही और मिलने की उम्मीद है। विपक्षी गठबंधन इंडिया में शमिल सपा, कांग्रेस व रालोद मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। रालोद से सात सीटों पर समझौता करने के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कांग्रेस के साथ 11 सीटों पर गठबंधन की घोषणा कर चुके हैं।  सपा ने रालोद की तरह कांग्रेस के साथ समझौते के तहत दी जाने वाली सीटों के बारे में नहीं बताया है। हालांकि, सपा मुखिया द्वारा की गई घोषणा से कांग्रेस की प्रदेश इकाई खुश नहीं है, वह ज्यादा सीटें चाह रही है।     प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व 20 सीटों से कम पर मानने को तैयार नहीं है, हालांकि उसके नेता सधी हुई प्रतिक्रिया दे रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि गठबंधन की सीटों पर केंद्रीय कमेटी निर्णय ले रही है। बहुत अच्छे वातावरण में बात चल रही है, जल्द ही इसके अच्छे परिणाम आएंगे। वहीं, सपा भी कांग्रेस पर पूरा दबाव बनाए हुए है। सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी कहते हैं कि यह चुनाव टिकट बंटवारे का नहीं है। भाजपा को हराना है और लोकतंत्र बचाना है। अखिलेश यादव ने बड़ा दिल दिखाने के साथ ही कांग्रेस का सम्मान रखते हुए पहले ही 11 सीटें दे दी हैं। वे पहले ही कह चुके हैं कि सवाल सीट का नहीं जीत का है।      इसी के अनुसार उन्होंने सीटें भी दे दी हैं। उधर इस सब के बीच रालोद ने भी सपा से दो और सीटें देने की मांग की है। सपा व रालोद के बीच सात सीटों पर समझौता हुआ है। सूत्रों के अनुसार पार्टी के नेता वर्ष 2009 के चुनाव की तरह नौ सीटें मांग रहे हैं। उस समय पार्टी ने भाजपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा और पांच सीटों पर सफलता प्राप्त की थी। उसे 2.05 प्रतिशत वोट मिले थे। इसके बाद रालोद 2014 में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर आठ सीटों पर चुनाव लड़ा, किंतु वह खाता भी नहीं खोल पाई थी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में रालोद ने सपा, बसपा के साथ गठबंधन कर तीन सीटों पर लड़ा था। उसे 1.68 प्रतिशत वोट तो मिले, लेकिन सफलता एक भी सीट पर नहीं मिली थी।

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