नफा नुक्सान के तराजू में अटका लोकसभा चुनावों में होने वाला अकाली दल व भाजपा का गठबंधन

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लोकसभा चुनाव 2024 में अकाली दल व भाजपा को महसूस होने लगी एक दूसरे की जरूरत.. दोनों पार्टीयों में फिर से गठबंधन होने की अटकलें.. गृहमंत्री अमित शाह बोले, अभी चल रही है बातचीत.. लेकिन कुछ तय नहीं..

टाकिंग पंजाब

चंडीगढ़। देश में लोकसभा चुनावों को लेकर जोड़तोड़ की राजनीति शुरू हो चुकी है। इन चुनावों के मद्देनजर जहां इंडिया गठबंधन पूरे जोरशोर से इस चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने को उतर चुका है वहीं एनडीए को एक बार फिर से अपनी रूठी पार्टीयों की याद सताने लग पड़ी है। इन चुनावों को लेकर यह भी अटकलें लगाई जा रही है कि पंजाब में भाजपा-अकाली दल गठबंधन फिर से हो सकता है। हालांकि लगता है कि अंदर खाते दोनों पार्टीयां इस गठबंधन से होने वाले नफा नुक्सान को लेकर भी विचार विर्माश कर रही हैं।       अटकलें यह भी चल रही हैं कि अकाली दल 8-5 और भाजपा 7-6 शेयरिंग के फॉर्मूला को लेकर बातचीत चल रही है। हालांकि दोनों ही पार्टीयां इस मामले में अपने पत्ते खोलने को तैयार नही है, लेकिन इस मामले में कहीं न कहीं कोई न कोई तो खिचड़ी पक ही रही है। इस मामले में देश के गृहमंत्री अमित शाह ने भी एक इंटरव्यू दौरान कहा है कि पंजाब में अकाली दल के साथ अभी कुछ तय नहीं हुआ है, लेकिन बातचीत चल रही है। हालांकि अमित शाह ने यह भी कहा कि हालात, समीकरण और भाजपा के कुछ क्षेत्रीय नेता इसके हक में नहीं दिख रहे हैं। गृहमंत्री की इन बातों से ऐसा लगा रहा है कि पार्टी गठबंधन के हक में है, लेकिन कुछ नेता गठबंधन नहीं चाहते हैं।      देखा जाए तो अगर पार्टी गठबंधन के हक में है तो लगता है कि पार्टी कुछ नेताओं को दरकिरनार करके यह गठबंधन कर सकती है। अमित शाह ने इस दौरान यह भी कहा कि भाजपा ने आज तक अपने किसी भी साथी को जाने के लिए नहीं कहा, लेकिन कई साथी आते हैं, चले जाते हैं। कई बार घटनाएं व हालात ही ऐसे बन जाते हैं, लेकिन भाजपा ने कभी किसी को एनडीए से नहीं निकाला है। हमेशा गठबंधन का धर्म निभाया है। दरअसल, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की तरह ही भाजपा की राज्य इकाई इस गठबंधन को लेकर सहमत नहीं है। भाजपा के पुराने व बड़े नेताओं का मानना है कि अगर अकाली दल के साथ भाजपा गठबंधन करती है तो फिर से पुराने जैसे हालात बन जाएंगे।       नेताओं का मानना है कि अगर पंजाब में अकाली-भाजपा की सरकार बनती है तो सरकार बनने के बाद भाजपा को खुड्डे लाइन लगा दिया जाऐगा। उस पर से भाजपा ने अकाली दल से अलग होने के बाद शहरों से साथ साथ गांवों में भी अपना आधार बढाने के लिए जी-जान एक की है। अकाली दल से कईं बड़े नेता भी भाजपा में शामिल हुए हैं। भाजपा नेताओं का मानना है कि इसके बाद अगर गठबंधन होता है तो फिर से वहीं ढाक के तीन पात वाली स्थिति बन जाऐगी। हालांकि सूत्रों की माने तो इन सभी बातों के बावजूद दोनों पार्टीयों के बीच गठबंधन होना तय माना जा रहा है।

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