लुधियाना का दिलरोज मर्डर मामला.. फांसी के लिए खुंखार अपराधी होना जरूरी नहीं, अपराध बड़ा है तो होगी फांसी

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बच्ची को जिंदा दफनाने वाली महिला को फांसी देकर न्यापालिका ने साबित की यह बात ..

महिला बोली मेरे 2 बच्चे, रहम करो.. जज बोले, घिनौना काम, हकदार नहीं

नरिंदर वैद्य

लुधियाना। पिछले कईं सालों से यह मिथ्य बना हुआ है कि देश में फांसी की सजा अब न के बराबर ही होती है। माना जाता था कि फांसी की सजा ऐसे मामलों में दी जाती है, जब कोई बेहद ही खुखांर अपराधी का जुर्म साबित हुआ हो या फिर किसी ने किसी बड़े नेता आदि का कत्ल किया हो। मगर आज न्यापालिका की तरफ से सुनाए गए एक फैंसले में जो महिला को फांसी की सजा दी गई है, उससे साबित होता है कि जरूरी नही है कि किसी खुखांर अपराधी को ही उसके जुर्म के बदले फांसी मिले, किसी भी ऐसे जुर्म करने वाले को भी फांसी की सजा हो सकती है, जिसका जुर्म काबिल ए माफी न हो।        ऐसा ही एक उदाहरण आज लुधियाना की अदालत में चल रहे दिलरोज मर्डर केस में देखने को मिला है। पंजाब के लुधियाना में ढाई साल की बच्ची को जिंदा दफनाने वाली पड़ोसन महिला नीलम को कोर्ट ने फांसी की सजा सुना दी है। महिला का अपराध यह था कि उसने बच्ची दिलरोज को पहले किडनैप किया व इसके बाद गड्‌ढा खोदकर उसे जिंदा दफना दिया। इससे मासूम दिलरोज की मौत हो गई थी। अब इस मामले में महिला नीलम कोई खुंखार अपराधी नहीं थी, लेकिन उसने जो जुर्म ​किया व नाकाबिल ए माफी था।      इसी लिए दिलरोज की हत्या की दोषी नीलम को जब फांसी की सजा सुनाई गई तो वह जज के सामने फूट-फूटकर रोने लगी। उसने जज से रहम की अपील करते हुए कहा कि जज साहब, प्लीज मुझे बख्श दो.. मेरे भी दो बच्चे हैं। इस पर टिप्पणी करते हुए माननीय सेशन जज मनीष सिंघल ने कहा कि नीलम ने जो हरकत की है वह माफी के लायक नहीं है। समाज को बचाने और सुधारने की जरूरत है, जिसके कारण इस मामले में कोई रहम नहीं बनता है।     माननीय जज ने कहा कि उम्मीद है कि सजा के इस फैसले के बाद कोई भी आपराधिक तत्त्व ऐसा घिनौना काम नहीं करेगा, जिससे समाज को शर्मसार होना पड़े। माननीय अदालत के इस फैंसले से यह तो साफ हो गया कि पुरूष हो या महिला अगर जुर्म काबिल ए माफी नहीं है, तो सजा तो मिलेगी ही। माननीय अदालत के इस फैंसले से कितने अपराधियों के दिलों में कानून का खौफ पैदा होता है, वो अलग बात है, लेकिन आज के इस फैंसले से यह धारणा गलत साबित हुई है कि हमारे देश में फांसी की सजा ज्यादातर मामलों में नहीं दी जाती है। इस फैंसले ने यह साबित कर दिया कि अगर जुर्म फांसी के लायक है, तो फांसी भी जरूर होगी।     आपको बता दें कि फांसी की सजा पाने वाली नीलम ने 28 नवंबर 2021 को शिमलापुरी इलाके से बच्ची दिलरोज को स्कूटी पर किडनैप कर सलेम टाबरी इलाके में गड्ढा खोद कर जिंदा दफन कर दिया था। इससे उसकी मौत हो गई थी। नीलम ने जब दिलरोज को दफना दिया तो वह भी उसके घर वालों के साथ उसकी तालाश में घूमती रही। पुलिस जांच के लिए मौके पर पहुंची और इलाके में सीसीटीवी कैमरे चेक किए तो पुलिस को दिखा कि नीलम ही बच्ची को स्कूटी पर बैठाकर ले जा रही थी। इसके बाद पुलिस ने नीलम को हिरासत में ले लिया व जांच में नीलम ने अपना गुनाह कबूल कर लिया था। 

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