‘कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम’ के अंतर्गत सेमिनार में 60 शिक्षकों ने लिया उत्साहपूर्वक भाग
टाकिंग पंजाब
जालंधर। डॉ. विदुर ज्योति (चेयरमैन ट्रस्ट),डॉ. सुविक्रम ज्योति (चेयरपर्सन कम मैनेजर, मैनेजिंग कमेटी; जनरल सैक्रेटरी,ट्रस्ट) की अध्यक्षता में एवं प्रधानाचार्या प्रवीण सैली, रमनदीप (उप-प्रधानाचार्या) तथा ममता अरोड़ा (सहायक उप-प्रधानाचार्या) के दिशानिर्देश में विद्यालय परिसर में शिक्षकों के लिए ‘कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम’ के अंतर्गत ‘राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा’ पर सेमिनार का सफल आयोजन किया गया। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड-सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस द्वारा ‘कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम’ के अंतर्गत इस सेमिनार में 60 शिक्षकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ दुर्गा द्वार पर स्वामी विवेकानंद जी की प्रतिमा के समक्ष पुष्पांजलि तथा माँ सरस्वती जी के समक्ष ज्योति प्रज्ज्वलन के बाद सरस्वती वंदना से हुआ। ‘टीचर्स प्रेयर’ के उपरांत प्रधानाचार्या प्रवीण सैली ने सीबीएसई रेसोर्सपर्सन्स के रूप में उपस्थित डॉ. गुरमीत गिल ( प्रधानाचार्या, दसमेश नर्सरी स्कूल, मुकेरियाँ) तथा चेतन बंसल (प्रधानाचार्या शेमरॉक वर्ल्ड स्कूल ज़ीरकपुर) को आभारस्वरूप नन्हे पौधे भेंट किए तथा उनका विद्यालय के प्रांगण में पधारने पर हार्दिक स्वागत किया। इस सेमिनार का उद्देश्य शिक्षा क्षेत्र के महत्त्वपूर्ण सुधारों और चुनौतियों पर विशेष चर्चा करना था। सेमिनार में डॉ. गुरमीत गिल तथा चेतन बंसल ने शिक्षकों को राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा के अर्थ,कौशल आधारित शिक्षण, विद्यार्थियों की क्षमता और उनके सीखने के ढंग, पंचकोश विकास तथा विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के बारे में जानकारी प्रदान की। उन्होंने पाठ्यक्रम की मूल्यांकन प्रणालियों में सुधार करने, बहुभाषावाद को बढ़ावा देने और शिक्षा में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने पर ज़ोर दिया। इस सेमिनार में आलोचनात्मक सोच और रचनात्मकता को बढ़ावा देने के टिप्स भी दिए गए। सेमिनार में राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा को व्यवहार में लाने पर आधारित कई विचारपरकगतिविधियाँ थीं, जिनसे शिक्षकों को खुद को बेहतर तरीके से जानने और अपनी भावनाओं को अच्छी तरह से प्रबंधित करने में सहायता मिली। प्रवीण सैली ने अतिथियों को स्मृति-चिह्न देकर सम्मानित करते हुए हार्दिक धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि इस सेमिनार का लक्ष्य पाठ्यक्रम से लेकर शिक्षण पद्धतियों तक व्यापक मार्गदर्शन प्रदान करना था। प्रधानाचार्या ने शिक्षकों की उत्साहपूर्वक भागीदारी की सराहना की।