तेजी से बढ़ रही है भारतीयों के नागरिकता छोड़ने की संख्या.. जाने पिछले 5 साल का आंकड़ा 

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देश में नौकरी व अन्य अवसरों की कमी के चलते लोग दूसरे देश में ढूंढ रहे है अपना भविष्य

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नई दिल्ली। देश की सरकारें चाहे कितने भी बड़े दावे करें, लेकिन भारतीयों का देश छोड़ कर जाना व भारत की नागरिकता तक को छोड़ देना, बढ़ता ही जा रहा है। यह हम नहीं बल्कि सरकारी आंकड़े कह रहे है। आंकड़ो के अनुसार पिछले साल यानी 2023 में 2 लाख 16 हज़ार 219 भारतीयों ने अपनी नागरिकता त्याग दी है। यह जानकारी केंद्र सरकार ने गुरुवार को राज्यसभा में दी है। आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने सरकार से यह सवाल पूछा था कि भारतीय इतनी बड़ी संख्या में देश की नागरकिता क्यों त्याग रहे हैं ?    विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने पिछले पांच सालों (2019-23) में अपनी नागरिकता छोड़ने वाले भारतीय नागरिकों की संख्या के बारे में लिखित जवाब दिया है। उन्होंने साल 2011 से 2018 के भी आंकड़े राज्यसभा में पेश किए। मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने नागरिकता त्यागने वाले भारतीयों के आंकड़े देते हुए बताया कि 2023 की तुलना में 2022 में 2,25,620 लोगों ने भारतीय नागरिकता त्याग दी।पिछले पांच साल के आंकड़ो की बात करें तो साल 2019 में 144017, साल 2020 में 85256, साल 2021 में 163370, साल 2022 में 225620 व साल 2023 में 210229 भारतीयों ने देश की नागरिकता छोड़ दी।  दरअसल, आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने सरकार से यह सवाल पूछा था। उन्होंने पूछा क्या सरकार ने बड़ी संख्या में लोगों के नागरिकता त्यागने और ‘भारतीय नागरिकता की कम स्वीकार्यता के पीछे की वजहों की जांच की है ?। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या बड़ी संख्या में नागरिकता त्यागने की वजह से होने वाले “वित्तीय और बौद्धिक नुकसान” का कोई आकलन किया गया है। आप सांसद के सवाल का जवाब देते हुए विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि नागरिकता त्यागने या लेने का फैसला व्यक्तिगत होता है। इस दौरान मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि सरकार ज्ञान और अर्थव्यवस्था के युग में वैश्विक कार्यस्थल की क्षमता को पहचानती है।    इससे भारतीय प्रवासियों के साथ अपने जुड़ाव में भी परिवर्तनकारी बदलाव आए हैं। उन्होंने कहा कि एक सफल, समृद्ध और प्रभावशाली प्रवासी भारतीय समुदाय देश के लिए एक संपत्ति है। आप सांसद के सवाल का जवाब देते हुए विदेश राज्य मंत्री ने उन्होंने फिर दोहराया कि किसी का भी नागरिकता त्यागने या लेने का फैसला व्यक्तिगत होता है। अब कुछ लोग इस खबर को पढ कर कहेंगे कि जाते है तो जाये, हमारे देश में लोगो की कमी थोड़ा ही है। एक अरब से ज्यादा पापुलेशन वाला देश है, लाख, दो लाख चले जायेंगे तो क्या फर्क पड़ता है।   जी नहीं, फर्क तो पड़ता ही है, बाकी सब मन को समझने वाली बातें है। अब सवाल यह है कि इतनी संख्या में भारतीय भारत क्यों छोड़ रहे है ?। इसके कई कारण सामने आये है, लेकिन एक दो कारण ऐसे है जो सबसे बड़े है। दरअसल लोग बेहतर नौकरी, रहन-सहन और अच्छी लाइफस्टाइल के लिए दूसरे देशों की नागरिकता लेते हैं। दूसरा जो बड़ा कारण है, वह यह है कि उनका मानना है कि देश में नौकरी व अन्य अवसरों की कमी है। लोग अपने देश में अवसरों की कमी व दूसरे देश में अपना भविष्य ढूंढने की वजह से भी देश छोड़ने का फैसला ले रहे हैं।

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