ईसीआईआर रिपोर्ट आरोपी को देना जरूरी नहीं, गिरफ्तारी के दौरान केवल कारण बता देना ही काफी- सुप्रीम कोर्ट
टाकिंग पंजाब
नई दिल्ली। माननीय सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी व जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के विभिन्न प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के तहत गिरफ्तारी मनमानी नहीं है व कोर्ट ने पीएमएलए के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मिले गिरफ्तारी के अधिकार को बरकरार रखा है।
आपके बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिंदबरम, महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती समेत 242 याचिकाकर्ताओं ने पीएमएलए के तहत ईडी द्वारा की गई गिरफ्तारी, जब्ती व जांच की प्रक्रिया को चुनौती दी थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ईडी को गिरफ्तारी का अधिकार, सीज करने का अधिकार, संपत्ति अटैच करना, रेड डालना व बयान लेने के अधिकार बरकरार रखे गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि शिकायत ईसीआईआर को एफआईआर के बराबर नहीं माना जा सकता है, ये ईडी का इंटरनल डॉक्यूमेंट है व ईसीआईआर रिपोर्ट आरोपी को देना जरूरी नहीं है। गिरफ्तारी के दौरान केवल कारण बता देना ही काफी है।