देश में पहली बार हिंदी में होगी एमबीबीएस की पढ़ाई…केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने किया विमोचन

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पाठ्यक्रम की तैयार की गई 3 किताबें.. 97 डॉक्टरों की टीम ने 4 महीनों में किया अंग्रेजी का हिन्दी में अनुवाद

टाकिंग पंजाब

मध्यप्रदेश। देश में पहली बार मध्यप्रदेश में एमबीबीएस की पढ़ाई हिन्दी में होने जा रही है। अब एसबीबीएस करने वाले इसकी पढ़ाई हिंदी में कर सकेंगे,  जिसके लिए पाठ्यक्रम की 3 किताबें तैयार हैं। इन किताबों का विमोचन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भोपाल में किया था। इसके तहत 15 नवंबर से नए बैच को इन्हीं किताबों से पढ़ाया जाएगा।  फर्स्ट ईयर की तीन किताबों में बायोकेमिस्ट्री, फिजियोलॉजी और एनाटॉमी है। इन विषयों का हिंदी वर्जन तैयार किया है।

  तीनों किताबों में करीब 3410 पेज हैं। इसके साथ ही कुछ अंग्रेजी शब्दों को देवनागरी में लिखा गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रिमोट दबाकर तीनों किताबों का विमोचन किया है। तीन किताबों में बायोकेमिस्ट्री, फिजियोलॉजी और एनाटॉमी है।  तीनों विषयों की किताबों में 3410 पेज हैं। एनॉटॉमी विषय के तीन वॉल्यूम में कुल 1543 पेज हैं। फिजियोलॉजी विषय में दो वॉल्यूम में 1069 पेज होंगे।

चार महीने में 97 डॉक्टरों ने तैयार की यह 3 किताबें, 15 नवंबर से होगी पढ़ाई की शुरुआत

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह काम चिकित्सा शिक्षा विभाग को दिया था। प्रदेश के 97 डॉक्टरों की टीम ने 4 महीने तक रात-दिन मेहनत कर अंग्रेजी की किताबों का हिन्दी में अनुवाद किया है। डॉक्टरों के साथ कम्प्यूटर ऑपरेटर्स की टीम बनाई गई। इस टीम ने 24 घंटे, सातों दिन लगकर एमबीबीएस फर्स्ट ईयर की 5 किताबों का हिन्दी में अनुवाद किया। इस प्रक्रिया में तकनीकी पहलुओं व छात्रों के भविष्य की चुनौतियों का भी ख्याल रखा गया है।

  इन किताबों को इस प्रकार अनुवादित कर तैयार किया गया है, जिसमें शब्द के मायने हिन्दी में ऐसे न बदल जाएं कि उसे समझना मुश्किल लगे। काउंसिलिंग के बाद आने वाले एमबीबीएस के नए बैच के छात्रों को हिन्दी में अनुवादित की गई किताबों से पढ़ाया जाएगा। 15 नवंबर से नए बैच की पढ़ाई हिन्दी में होगी। इस शुरुआत के बाद एमपी के ग्रामीण अंचलों में रहने वाले हिन्दी माध्यम से पढ़ाई करने वाले छात्र उत्साहित हैं।

 — दवा के पर्चे पर Rx के बजाए श्री हरि लिखें डॉक्टर – सीेएम —

इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी डॉक्टरों को दवा के पर्चे पर Rx के बजाए श्री हरि लिखने की सलाह दे चुके हैं। उन्होंने कहा था कि अगर दवाई का नाम क्रोसिन लिखना है, तो क्रोसिन हिन्दी में भी लिखा जा सकता है। उसमें क्या दिक्कत है.? ऊपर ‘श्री हरि’ लिखो… और क्रोसिन लिख दो। सीएम शिवराज ने डॉक्टरों से कहा था कि यहां जो डॉक्टर मित्र बैठे हैं, वो अच्छा तरीका निकालेंगे। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अंग्रेजी की वजह से मेडिकल के छात्र हीन भावना से ग्रसित होते थे।

   कुछ लोगों ने मेडिकल की पढ़ाई छोड़ देते थे। अब उनके लिए नया सवेरा आने वाला है। सीएम ने कहा कि हमने हिंदी को कठिन नहीं बनाया है। लीवर को हिंदी में लीवर ही लिखा है। देश में सबसे हिंदी में पढ़ाई शुरू कर मोदी जी की इच्छा की पूर्ति है। बाद में इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी हिंदी में शुरू होगी। देश के सारे विद्यार्थी अपनी मातृ भाषा में तकनीकी शिक्षा हासिल करेंगे।

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