कहा, हम आंदोलन से निकले लोग हैं, देश की आजादी को व्यर्थ नहीं जाने देंगे, हमें कुछ भी कुर्बानी देनी पड़े हम पीछे नहीं हटेंगे।
टाकिंग पंजाब
नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा में एक बड़ा ब्यान दिया है। दिल्ली के उपराज्यपाल के साथ चल रही अनबन के बीच केजरीवाल ने कहा कि मैं सदन में बढ़े भारी मन से आज बात रख रहा हूं। यह बहुत गंभीर मुद्दा है कि किसी भी राज्य की सरकार चुनी हुई सरकार से चलनी चाहिए या एलजी साहब से चलना चाहिए। केजरीवाल ने आगे कहा कि मैं चाहता हूं कि भाजपा के सदस्य भी सदन में रहते। केजरीवाल ने कहा कि समय बहुत बलवान है, वह एक-सा नहीं रहता है और क्या पता कल दिल्ली में हमारी सरकार न हो लेकिन भगवान ने चाहा तो कल केंद्र में हमारी सरकार होगी मगर हमारे एलजी इस तरह दिल्ली की सरकार को परेशान नहीं करेंगे। इस दौरान सीएम केजरीवाल ने कहा कि मैं दिल्ली का मुख्यमंत्री हूं व मेरे शिक्षा मंत्री ने 30 शिक्षकों काे प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड भेजने का फैसला लिया। मैंने अनुमति दे दी, बात पूरी हुई, मगर एलजी साहब ने फाइल रोक दी। वह भी एक बार नहीं, दो बार रोक दिया, जिससे साफ हाेता है कि जान बूझकर फाइल को रोका गया है। मैं कहता हूं कि एलजी कौन होते हैं रोकने वाले। जनता के टैक्स का पैसा, जनता के बच्चों के लिए बेहतर पढ़ाई कराने के लिए, शिक्षकों के प्रशिक्षण पर खर्च हो रहा है। सीएम केजरीवाल ने दिल्ली के लोगों की चिंता जाहिर करते हुए कहा कि मुझे दिल्ली के 2 करोड़ लोगों की चिंता है। मैनें जैसे अपने बच्चों को पढ़ाई कराई है, उसी तरह दिल्ली के बच्चों की पढ़ाई की चिंता की है। अंत में दिल्ली सीएम ने कहा कि मैं इससे और ज्यादा कुछ नहीं कह सकता हूं। मैंने एलजी साहब से पूछा कि आप कौन हैं, मुझे तो जनता ने चुन कर भेजा है, तो एलजी साहब बोले कि मुझे राष्ट्रपति ने भेजा है। यह एलजी साहब आम आदमी पार्टी को बदनाम करने आए हैं। उन्होंने उपराज्यपाल के खिलाफ निंदा प्रस्ताव की चर्चा में कहा कि एलजी साहब कह रहे हैं कि देश में शिक्षकों को प्रशिक्षण दिलवा लो, मैं कहता हूं कि एलजी कौन होते हैं रोकने वाले। सुप्रीम कोर्ट ने 4 जुलाई 2018 को दिए गए आदेश में साफ कहा है कि एलजी को फैसला लेने के लिए अधिकार नहीं है। हम आंदोलन से निकले लोग हैं। हम देश की आजादी को व्यर्थ नहीं जाने देंगे। हमें कुछ भी कुर्बानी देनी पड़ी तो हम उससे पीछे नहीं हटेंगे।
नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा में एक बड़ा ब्यान दिया है। दिल्ली के उपराज्यपाल के साथ चल रही अनबन के बीच केजरीवाल ने कहा कि मैं सदन में बढ़े भारी मन से आज बात रख रहा हूं। यह बहुत गंभीर मुद्दा है कि किसी भी राज्य की सरकार चुनी हुई सरकार से चलनी चाहिए या एलजी साहब से चलना चाहिए। केजरीवाल ने आगे कहा कि मैं चाहता हूं कि भाजपा के सदस्य भी सदन में रहते। केजरीवाल ने कहा कि समय बहुत बलवान है, वह एक-सा नहीं रहता है और क्या पता कल दिल्ली में हमारी सरकार न हो लेकिन भगवान ने चाहा तो कल केंद्र में हमारी सरकार होगी मगर हमारे एलजी इस तरह दिल्ली की सरकार को परेशान नहीं करेंगे। इस दौरान सीएम केजरीवाल ने कहा कि मैं दिल्ली का मुख्यमंत्री हूं व मेरे शिक्षा मंत्री ने 30 शिक्षकों काे प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड भेजने का फैसला लिया। मैंने अनुमति दे दी, बात पूरी हुई, मगर एलजी साहब ने फाइल रोक दी। वह भी एक बार नहीं, दो बार रोक दिया, जिससे साफ हाेता है कि जान बूझकर फाइल को रोका गया है। मैं कहता हूं कि एलजी कौन होते हैं रोकने वाले। जनता के टैक्स का पैसा, जनता के बच्चों के लिए बेहतर पढ़ाई कराने के लिए, शिक्षकों के प्रशिक्षण पर खर्च हो रहा है। सीएम केजरीवाल ने दिल्ली के लोगों की चिंता जाहिर करते हुए कहा कि मुझे दिल्ली के 2 करोड़ लोगों की चिंता है। मैनें जैसे अपने बच्चों को पढ़ाई कराई है, उसी तरह दिल्ली के बच्चों की पढ़ाई की चिंता की है। अंत में दिल्ली सीएम ने कहा कि मैं इससे और ज्यादा कुछ नहीं कह सकता हूं। मैंने एलजी साहब से पूछा कि आप कौन हैं, मुझे तो जनता ने चुन कर भेजा है, तो एलजी साहब बोले कि मुझे राष्ट्रपति ने भेजा है। यह एलजी साहब आम आदमी पार्टी को बदनाम करने आए हैं। उन्होंने उपराज्यपाल के खिलाफ निंदा प्रस्ताव की चर्चा में कहा कि एलजी साहब कह रहे हैं कि देश में शिक्षकों को प्रशिक्षण दिलवा लो, मैं कहता हूं कि एलजी कौन होते हैं रोकने वाले। सुप्रीम कोर्ट ने 4 जुलाई 2018 को दिए गए आदेश में साफ कहा है कि एलजी को फैसला लेने के लिए अधिकार नहीं है। हम आंदोलन से निकले लोग हैं। हम देश की आजादी को व्यर्थ नहीं जाने देंगे। हमें कुछ भी कुर्बानी देनी पड़ी तो हम उससे पीछे नहीं हटेंगे।