बीबीसी की पीएम मोदी खिलाफ मानसिकता आई सामने.. डॉक्‍यूमेंट्री जारी कर किया प्रधानमंत्री खिलाफ दुष्‍प्रचार

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केंद्र ने गुजरात दंगों पर बीबीसी की डॉक्‍यूमेंट्री को बताया प्रोपेगैंडा का हिस्सा.. यूट्यूब से हटाया पहला एपिसोड 

टाकिग पंजाब

साल 2002 में गुजरात में हुए दंगों पर काफी हो हल्ला होता रहा है। इन दंगो की सच्चाई जानने के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट ने सिट का गठन भी किया था। इस सिट ने जांच के बाद कहा था कि इन दंगों में नरेंन्द्र मोदी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले हैं व जून 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री को क्लीन चिट दे दी थी। अब एक बार फिर से बीबीसी ने एक डॉक्‍यूमेंट्री जारी कर प्रधानमंत्री खिलाफ दुष्‍प्रचार किया है। हालांकि केंद्र सरकार ने गुरुवार को गुजरात दंगों पर ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन या​नि कि बीबीसी की डॉक्‍यूमेंट्री को प्रोपेगैंडा का हिस्सा बताया है।  बीबीसी ने 17 जनवरी को द मोदी क्वेश्चन डॉक्यूमेंट्री का पहला एपिसोड यूट्यूब पर रिलीज किया था। इस पहले एपिसोड के डिस्क्रिप्शन में लिखा था कि यह डॉक्यूमेंट्री भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भारत के मुस्लिम अल्पसंख्यक के बीच तनाव पर नजर डालती है। गुजरात में 2002 में हुए दंगों में नरेंद्र मोदी की भूमिका के दावों की जांच करती है। इससे पहले कि इसका दूसरा एपिसोड 24 जनवरी को रिलीज होता, केंद्र ने पहले एपिसोड को यूट्यूब से हटा दिया था।   इस डॉक्‍यूमेंट्री का नाम द मोदी क्वेश्चन है, जो पीएम मोदी के राजनीतिक सफर पर बनाई गई है। इस पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हम नहीं जानते कि डॉक्‍यूमेंट्री के पीछे क्या एजेंडा है, लेकिन यह निष्पक्ष नहीं है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दुष्‍प्रचार फैलाती है। इसमें फैक्ट ही नहीं है व यह औपनिवेशिक मानसिकता से संचालित है।   इस बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर यूके के सांसद लॉर्ड रामी रेंजर ने ऐतराज जताया था। उन्होंने 18 जनवरी को ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने बीबीसी से कहा कि आपने भारत के 100 करोड़ से अधिक लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। एक लोकतांत्रिक रूप से चुने गए प्रधानमंत्री, भारतीय पुलिस और भारतीय ज्यूडिशियरी की भावनाओं को ठेस पहुंची है। हम गुजरात में हुए दंगों की निंदा करते हैं, लेकिन आपकी पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग की भी आलोचना करते हैं।

 

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