डॉ. संजीव नवल ने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के साथ विकास की आवश्यकता पर भी डाला प्रकाश
टाकिंग पंजाब
जालंधर। एएससीई इंडिया सेक्शन, उत्तर क्षेत्र की वार्षिक आम बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें डॉ. संजीव नवल ने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के साथ विकास की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। इस प्रोग्राम में भारत के उत्तरी क्षेत्र के सिविल इंजीनियरिंग पेशेवरों व शिक्षाविदों ने भाग लिया था। बैठक की शुरुआत डॉ. हरअमृत सिंह संधू, अध्यक्ष एएससीई इंडिया सेक्शन नॉर्थ रीजन व फैकल्टी पीईसी चंडीगढ़ के साथ हुई, जिन्होंने शैक्षणिक संस्थानों में तकनीकी समाजों के महत्व पर अपनी अंतर्दृष्टि सांझा की उन्होंने उद्योग के पेशेवरों और विशेषज्ञों के साथ जुड़कर छात्रों को सीखने और बढ़ने के लिए एक मंच प्रदान करने के महत्व पर जोर दिया। इस कार्यक्रम में राजन दत्त, आयुक्त, सीमा शुल्क, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार मुख्य अतिथि थे। उन्होंने भारत को एक विकसित देश बनाने में सिविल इंजीनियरिंग की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताया। उन्होंने निरंतर नवाचार की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और पेशेवरों से सतत विकास की दिशा में काम करने का आग्रह किया।
डॉ. संजीव नवल, सचिव एएससीई आईएस एनआर व प्रिंसिपल डेविएट, जालंधर ने वास्तविक जीवन की परियोजनाओं में चुनौतियों पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के साथ तालमेल बिठाने के लिए विकास की आवश्यकता पर जोर दिया। डॉ. नवल ने जोर देकर कहा कि सिविल इंजीनियरिंग परियोजनाएं पर्यावरण, स्थानीय समुदायों व समाज पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं। इसलिए विकास प्रक्रिया को टिकाऊ व समावेशी बनाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं को परियोजना की दीर्घकालिक स्थिरता व पर्यावरण और स्थानीय समुदायों पर प्रभाव पर विचार करना चाहिए। इसके अलावा डॉ. नवल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एसडीजी सत्रह लक्ष्य हैं जिनका उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक व पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करते हुए विश्व स्तर पर सतत विकास को बढ़ावा देना है।