इस प्रकरण को मुद्दा बना अपनी खोई साख दौबारा हासिल करने की कोशिश में शिअद..
टाकिंग पंजाब
चंडीगढ़। खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह का मुद्दे इस समय काफी गर्माया हुआ है। एक तरफ जहां पुलिस अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी की पूरी कोशिश कर रही है, वहीं कुछ राजनीतिक पार्टीयां इस मुद्दे को भी भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। इनमें से प्रमुख पार्टी शिरोमणि अकाली दल है, जिसके अध्यक्ष सुखबीर बादल ने अब इस मुद्दे पर राजनीति शुरू कर दी है। अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी को लेकर पंजाब पुलिस की तरफ से की गई कार्रवाई को अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने “असंवैधानिक” व “षड्यंत्र” बताया है। इतना ही नहीं, उन्होंने पकड़े गए 154 लोगों को कानूनी सहायता की पेशकश भी की है। इसके लिए सुखबीर बादल ने कुछ लीगल एडवाइजर व अकाली दल का हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। सुखबीर बादल ने ट्विटर पर लिखा है कि शिरोमणि अकाली दल ने पंजाब में चल रही गैर-संवैधानिक कार्रवाई में गिरफ्तार सभी सिख युवाओं को पूरी कानूनी सहायता प्रदान करने और यह सुनिश्चित करने का फैसला किया है। अकाली दल मात्र संदेह के आधार पर निर्दोष सिख युवाओं, विशेषकर अमृतधारी युवाओं की अंधाधुंध गिरफ्तारी की कड़ी निंदा व सभी निर्दोषों की तत्काल रिहाई की मांग करता है। सुखबीर ने ट्वीट में कहा कि अकाली दल न्याय के लिए खड़ा है और आम तौर पर पंजाबियों के अधिकारों की रक्षा करता है। बादल ने यह भी कहा कि इन गिरफ्तारियों के साथ, राज्य की आप सरकार मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने और चुनावी जमीन हासिल करने के लिए सिख समुदाय को बदनाम करने की कोशिश कर रही है। सुखबीर बादल ने तो आप सरकार को चेतावनी भी दे डाली कि वह चुनावी लाभ के लिए सबसे देशभक्त सिख समुदाय को बदनाम करने की खतरनाक साजिश ना करे। दरअसल कुछ साल पहले श्री गुरूग्रंथ साहिब जी की हुई बे-अदबी व गोलीकांड के कारण अकाली दल हाशिए पर आ गया है। सिख समुदाय जो किसी समय इस अकाली दल की सबसे बड़ी ताकत हुआ करता था, आज काफी हद तक पार्टी से किनारा कर चुका है। सिख समुदाय में अपनी पैठ दौबारा बनाने के लिए अकाली दल के अध्यक्ष से पासा फैंक रहे हैं, ताकि सिख समाज के लोग अकाली दल को सिखों की हितैषी पार्टी मान कर उन्हें दौबारा सत्ता दिला दें। अब अकाली के दल अध्यक्ष की यह नीति कितनी कामयाब होती है, यह तो समय ही बताऐगा, लेकिन इतना तय है कि श्री गुरूग्रंथ साहिब जी की हुई बे-अदबी व गोलीकांड को सिख समुदाय के लिए भूलना भी मुमकिन नहीं होगा।