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क्या दिल्ली में आप की हार का पड़ेगा पंजाब पर असर.. बढ़ेगा संकट व उभरेगी गुटबाजी
टाकिंग पंजाब
नईं दिल्ली। साल 2015 में दिल्ली में हुए विधानसभा चुनावों में 70 में से 67 सीटें व पिछले चुनावों में 65 सीटें जीतने वाली आप की हालत 2025 विधानसभा चुनावों में इतनी खस्ता हो गई है कि आप सुप्रीमों व दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल अपनी सीट नहीं बचा सके हैं। दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी की बुरी तरह से हार हुई है, जिसके बाद अब पंजाब में भी बदलाव की संभावनाएं सामने आने लगी हैं। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है व सबसे बड़ी बात यह है कि साफतौर पर यह नतीजे आप की पंजाब सरकार पर जरूर असर डालने वाले हैं। चुनावी समीक्षकों की बात माने तो दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी की हार का पंजाब सरकार पर व्यापक असर पड़ने की संभावना है। हालांकि दिल्ली में हार से आप की पंजाब सरकार पर कोई संकट तो नहीं आऐगा, लेकिन गुटबाजी, असंतोष जरूर बढ़ेगा। दिल्ली की हार के बाद आप के केंद्रीय नेतृत्व का दखल भी पंजाब सरकार में बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है। दिल्ली की हार के बाद आप के पंजाब के कई विधायक सत्ता के प्रभाव से जुड़े हो सकते हैं। अगर पार्टी कमजोर होती दिखे, तो कुछ विधायक दल-बदल कर सकते हैं, जिससे सरकार की स्थिरता प्रभावित हो सकती है। हां, अगर पंजाब सरकार अपने वादों जैसे मुफ्त बिजली, स्कूलों का सुधार, महिलाओं को 1 हजार रूपए आदि वादों को पूरा करने में सफल रहती है, तो दिल्ली की हार का प्रभाव पंजाब पर कम पड़ने की संभावना है। — केजरीवाल को शीशमहल नहीं आया रास.. सीएम की कुर्सी का करना पड़ा त्याग..
किसी समय खुद को आम आदमी कहने वाले व चप्पल पहनकर घूमने वाले अरविंदर केजरीवाल को एका-एक शीशमहल में रहने का शौंक जाग गया। शीशमहल में रहने का शौंक इतना मंहगा पड़ा कि इसके बाद उनको शीशमहल में कम, जबकि जेल में ज्यादा रहना पड़ा। यह कहें कि शीशमहल बनाने के बाद उनकी बर्बादी शुरु हो गई थी, तो यह गलत नहीं होगा। भ्रष्टाचार के बड़े आरोपों के बाद केजरीवाल को जेल यात्राएं करनी पड़ी। यहां तक कि अपनी सीएम की कुर्सी का भी त्याग करना पड़ा। केजरीवाल ने अपनी सीएम की कुर्सी आतिशी को दे दी। उनको उम्मीद थी कि दिल्ली चुनाव के बाद फिर से दिल्ली में उनकी सरकार बनेंगी ओर वह फिर से दिल्ली के सीएम बन जाऐंगे, लेकिन जनता ने उन्हें सीएम की कुर्सी पर बिठाना तो दूर, बल्कि उन्हें जिताना भी ठीक नहीं समझा। — केजरीवाल ने कार्यकर्ताओं व वोटरों के साथ की विश्वासघात की राजनीति – डा. संजीव शर्मा
दिल्ली में मिली इस हार पर आम आदमी पार्टी के फाऊंडर मैंबर रहे पूर्व नेता व राजनीतिक विश्लेषक डा. संजीव शर्मा ने कहा कि केजरीवाल ने हमेशा कैडर नेताओं व वर्करों को नज़रअंदाज कर दूसरी पार्टियों से पैराशूट के माध्यम से आए नेताओं पर विश्वास किया। पार्टी को बनाने में जिन लोगों ने अपना खून-पसीना एक किया, उनके साथ बुरा सलूक किया। केजरीवाल ने कार्यकर्ताओं व वोटरों के साथ विश्वासघात की राजनीति की है, जिसके परिणाम सबके सामने है। दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल व आप की नीतियों की हार हुई है। डा. संजीव शर्मा ने कहा कि दिल्ली के बाद अब आने वाले कुछ दिनों के भीतर ही पंजाब में भी बड़े राजनीतिक विस्फोट होने की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता। पंजाब में तख्ता पलट तक हो सकता है। इसका कारण यह है कि भगवंत मान पंजाब में केजरीवाल की पहली पसंद कभी नहीं थे। भगवंत मान को तो मजबूरी में सीएम बनाना पड़ा था, लेकिन अब दिल्ली हार के बाद हालात बदलने वाले हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली हार के बाद अब केजरीवाल को उन सभी की याद आने वाली है, जिनको उन्होंने नजरअंदाज किया था। डॉ. संजीव शर्मा का कहना है कि दिल्ली हारने के बाद अब केजरीवाल पंजाब में अपना वजूद तलाशने की कोशिश करेंगे, जिसके चलते उनके व सीएम भगवंत मान के रिश्तों में खटास आ सकती है। दिल्ली की हार के बाद अब आप के आगे बढने के सारे रास्ते बंद हो चुके हैं व यह सभी कुछ केजरीवाल की गलत नीतियों व पुराने कैंडर को नजरअंदाज करने के कारण ही हुआ है।